Book Title: Nischay Vyavahar
Author(s): Bharat Pavaiya
Publisher: Bharat Pavaiya

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Page 10
________________ व्यवहार २३. व्यवहार से कर्मों के उदय केवश होकर राग, द्वेषादि औपाधिक विकारी परिणामों का कर्ता है और कर्मऔर नो कर्मों का भी कर्ता है। २४. जिस प्रकार कलश का उपादान रूप से कर्ता मिट्टी का लोंदा है उसी प्रकार यह जीव व्यवहार से पुण्य पापादि परिणामों का भी कर्ता है। २५. व्यवहार नय से जीव पुदगल कर्मों का कर्ता और भोक्ता भी हैं। २६. कर्म और नो कर्म के परिणामों का कर्ता पुदगल द्रव्य है। व्यवहार नय से आत्मा पुण्य पापादिपरिणामों का कर्ता २७. अपने परिणामों के निमित्त से उदय में आये हुए पुद्गल कर्म की पर्यायरूप में मिट्टी कलश रूप में परिणमन करती है। मिट्टी और कलश में परस्पर उपादान और उपादेय भाव है। २८. जो मिथ्यात्व, योग, अविरति और अज्ञान कर्म वर्गणारूप हैं वेतो अजीव है। २९. व्यवहार नय संयोग संबंध और निमित्तनैमित्तिक भावों को बतलाने वाला हैं। ३०. व्यवहार नय से आत्मा द्रव्य कर्मों का करनेवाला व 159 Thi 10

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