Book Title: Nischay Vyavahar
Author(s): Bharat Pavaiya
Publisher: Bharat Pavaiya

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Page 11
________________ निश्चय भोक्ता है। किंतु समादि दशा में निश्चय नय का . अवलम्बन रहता है। ३१. ज्ञानीजीव पर - द्रव्य का कर्ता नहीं है। ३२. निश्चय से सम्यग्दर्शन, सम्यग्ज्ञान और सम्यग्चारित्रमय अपनी आत्मा को मोक्ष का कारण जान। ३३. निश्चय के बिना तत्त्व (वस्तु) कानाशहोजायेगा। ३४. निश्चय का साधन-स्वाश्रय है। ३५. स्वद्रव्य को श्रद्धान करता हुआ और उसस्वद्रव्य कोही । जानता हुवा तथा उस स्वद्रव्य की ही स्वद्रव्य की ही... उपेक्षा करता हुआ उत्तम मुनि निश्चय सेमोक्षमार्महै . अर्थात अभेद दृष्टि से वहशुद्धोपयोगीमुनिही निश्चय मोक्षमार्ग है। ३६. स्वभाव से शुद्ध नित्य और स्वभाव पर दृष्टि निश्चय है। दोनों को मानकर निश्चय का आदर करना अनेकांत है और उस निश्चय स्वभाव के बल से हीधर्म होता है। ३७. जो दर्शन, ज्ञान और चारित्र में स्थित होकर रहता है वह स्व-समय (मुक्तजीव) है। ३८. शुद्ध निश्चय से जीव को अकर्ता और अभोक्ता तथा क्रोधादिसे भिन्न बताया। ३९. अनादिबंधनबद्धजीवशुद्ध निश्चय नय से शक्तिरूपसे अमूर्त है। ४०. शुद्ध निश्चय नय से यह जीव शुद्ध-बुद्ध एक स्वभाव वाला है, इस कारणयह न तो किसी को उपजाता है न करता है, न बांधता है, न परिणमता है और न ग्रहण - N TED 11

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