Book Title: Nihnav Rohgupta Guptacharya ane Trairashik Mat
Author(s): Trailokyamandanvijay
Publisher: ZZ_Anusandhan

View full book text
Previous | Next

Page 5
________________ १५० अनुसन्धान-५८ क्रमे होवाथी, तेमनुं अस्तित्व, ओक पेढीना ३५-४० वर्षना हिसाबे, आठमी पेढीओ सं. ५४४मां होय तेमां कोई आश्चर्य नथी. आ कल्पनाने आधारे ज तेओओ आ ग्रन्थमा अन्यत्र रोहगुप्तने स्थविर नागमित्रना दीक्षाशिष्य जणाव्या छे. आ निराकरण ओटले योग्य नथी जणातुं के उपरोक्त ८ नामोमां पांचमुं नाम स्थविर कौडिन्यनुं छे. (जुओ पृष्ठ १४७) अटले उपरनी कल्पनाना हिसाबे तेमने महागिरिजीनी पांचमी पेढीओ वीर-निर्वाणना चोथा सैकाना अन्तभागमां के पांचमानी शरुआतमां मूकवा पडे. हवे आ ज कौडिन्यना शिष्य अश्वमित्र चोथा निह्नव छे अने तेमना निह्नव बनवानी घटना वीर नि.सं. २२०मां मतलब के महागिरिजीनी हयातीमां बनेली छे.१ तो ओ अश्वमित्रना गुरु कौडिन्यने महागिरिजीनी पांचमी पेढीओ कई रीते गणी शकाय? माटे त्रिपुटी महाराजे सूचवेलो रोहगुप्तने महागिरिजीनी आठमी पेढीओ गणवानो उकेल वाजबी लागतो नथी. ३. सौथी वाजबी उकेल तो ओ जणाय छे के निह्नव रोहगुप्त प्रस्तुत महागिरिजीना पट्टधर स्थविर रोहगुप्तथी वास्तवमां जुदी ज व्यक्ति छे. पण नामसाम्य, कौशिकगोत्रनुं साम्य, बन्नेना काळमां अलग-अलग श्रीगुप्ताचार्यअस्तित्व व. कारणोसर स्थविरावलीकारे बन्नेने अेक ज समजी लीधा लागे छे. आपणे इतिहास तपासीशुं तो नामसाम्यने लीधे अेक व्यक्तिने लगती घटना बीजी व्यक्तिना नामे चडी गई होय अवा अनेक प्रसंगो जणाशे. उपाध्याय धर्मसागरजी जेवा बहुश्रुत भगवन्ते पण आर्य रक्ष अने आर्यरक्षित वच्चे नामनी थोडीक समानता सिवाय कशुं ज साम्य न होवा छतां बन्नेने अेक गणी लीधा होय तो रोहगुप्तनी बाबतमां पण अq बने तेमां कशुं आश्चर्य नथी. वळी, इतिहासमां 'रोहगुप्त' नाम अक करतां वधु व्यक्तिओनुं मळे छे. आर्य सुहस्तिसूरिजीना ओक मुख्य पट्टधरनुं नाम पण आर्य रोहगुप्त छे. (जुओ पृष्ठ १४८) के जेओ महागिरिजीना शिष्य आर्य रोहगुप्तथी जुदा छे. तो निह्नव १. वि.भाष्य-गाथा २३८९-९० २. "थेरस्स णं अज्जनक्खत्तस्स... अज्जरक्खे थेरे अंतेवासी...।" कल्पसूत्रना आ पाठनी कल्पकिरणावलीगत व्याख्या - "अज्जरक्खे त्ति । दशपुरनगरे पुरोहितः सोमदेवस्तद्भार्या सोमरुद्रा तस्यास्तनय आर्यरक्षितनामा..."

Loading...

Page Navigation
1 ... 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20