Book Title: Nihnav Rohgupta Guptacharya ane Trairashik Mat
Author(s): Trailokyamandanvijay
Publisher: ZZ_Anusandhan

View full book text
Previous | Next

Page 8
________________ फेब्रुआरी वाचना वखते कालगणनादि माटे आ ज वाचकगणनाने मुख्यताओ स्वीकारवामां आवी होवाथी, वाचनाचार्यनी आ गणनाने 'माथुरी युगप्रधान - पट्टावली' तरीके ओळखवामां आवे छे. नन्दि - स्थविरावली आवा प्रकारनी वाचनाचार्योनी गणना ज छे. आ स्थविरावली दूर - सुदूर क्षेत्रोमां विचरता श्रुतधर महर्षिओने गणतरीमां न लेती होवाथी बीजा प्रकारनी पट्टावलीथी जुदी पडी जाय छे. १. - २. २०१२ वाचनाचार्योनी पट्टावलीना बीजा प्रकारमां कोई चोक्कस क्षेत्रमां थयेला वाचनाचार्योनी गणना नथी थती. पण ते काळे जे जे उत्कृष्ट श्रुतधर होय तेने वाचनाचार्य तरीके गणवामां आवे छे. मतलब के तेमां प्रथम बे केवलज्ञानी, पछी छ चौदपूर्वधर अने पछी दस दशपूर्वधर' - अ रीते गणतरी करवामां आवे छे. परिणामे आपणने माथुरी गणनामां नथी जोवा मळता ओवा त्रण दश पूर्वधरो - गुणसुन्दर, रेवतिमित्र अने श्रीगुप्त आ वाचनाचार्य गणनामां जोवा मळे छे. स्वाभाविक छे के आ त्रणेना काळमां वाचनाचार्य तरीके जेमनी माथुरी गणनामां गणतरी छे, तेमनां नाम आ पट्टावलीमां न ज होय. वालभी वाचनाना पक्षधरो कालगणनादिमां आ वाचनाने मुख्य करतां होवाथी आ गणना 'वालभी युगप्रधान-पट्टावली' तरीके पण ओळखाय छे. दुस्समकालसमणसंघथयं, विचारश्रेणि व. गत पट्टावलीओ वाचनाचार्योनी आ प्रकारनी गणनाने अनुसरे छे. बन्ने प्रकारनी वाचनाचार्य - गणनामां पहेलां दश नाम तो सरखां ज छे१. सुधर्मास्वामी २. जम्बूस्वामी ३ प्रभवस्वामी ४. आर्य शय्यम्भव ५. आर्य यशोभद्र ६. आर्य सम्भूतिविजय ७. आर्य भद्रबाहु ८. आर्य स्थूलिभद्र ९. आर्य महागिरि १०. आर्य सुहस्ति. त्यारबाद वज्रस्वामी सुधी बन्नेमां जे तफावत आवे छे ते नीचेना कोष्टकथी समजाशे. माथुरी - गणना ११. बलिस्सह वालभी- गणना ११. गुणसुन्दर महागिरिः सुहस्ती च, सूरिः श्रीगुणसुन्दरः । श्यामार्यः स्कन्दिलाचार्यो, रेवतिमित्रसूरिराट् ॥ १५३ श्रीधर्मो भद्रगुप्तश्च, श्रीगुप्तो वज्रसूरिराट् । युगप्रधानप्रवरा, दशैते दशपूर्विणः ॥ ( - कल्प-सुबोधिकामां उद्धृत) आर्य साण्डिल्य अने आर्य स्कन्दिलने ओक ज व्यक्ति न गणीओ तो आर्य स्कन्दिलनुं नाम पण अत्रे उमेरवुं पडे.

Loading...

Page Navigation
1 ... 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20