Book Title: Nihnav Rohgupta Guptacharya ane Trairashik Mat
Author(s): Trailokyamandanvijay
Publisher: ZZ_Anusandhan

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Page 13
________________ १५८ अनुसन्धान-५८ आ १४४ वस्तु नीचे मुजब हती : द्रव्य - १. पृथ्वी, २. जल, ३. अग्नि, ४. वायु, ५. आकाश, ६. काल, ७. दिशा, ८. आत्मा, ९. मन. गुण - १. रूप, २. रस, ३. गन्ध, ४. स्पर्श, ५. संख्या, ६. परिमाण, ७. महत्त्व, ८. पृथक्त्व, ९. संयोग, १०. विभाग, ११. परत्व-अपरत्व, १२. बुद्धि, १३. सुख, १४. दुःख, १५. इच्छा, १६. द्वेष, १७. प्रयत्न. (१७+९=२६) कर्म - १. उत्क्षेपण, २. अवक्षेपण, ३. आकुञ्चन, ४. प्रसारण, ५. गमन. (५+२६=३१) सामान्य - १. सत्ता, २. सामान्य, ३. सामान्यविशेष. (३+३१=३८) विशेष (३५) समवाय (३६) आ ३६ वस्तुमांथी दरेकना चार-चार भेद - १. स्व, २. स्वाभाव, ३. नोस्व, ४. नोस्वाभाव. जेम के पृथ्वी लइओ तो १. स्व- पृथ्वी, २. स्वाभाव- जलादि, ३. नोस्व- पृथ्वीनो ओक देश ४. नोस्वाभाव- जलादिनो ओक देश. अम ३६ वस्तुना ४-४ भेद गणतां कुल १४४ वस्तु थाय. श्रीगुप्ताचार्ये आ १४४ वस्तुनी दुकानमां मांगणी करी. जवाबमां जे वस्तुओ मळी तेमां 'नोजीव' नामनो पदार्थ ना मळ्यो. कारण के जीवनो ओक पण अवयव छूटो न पडी शके अने तेथी नोजीव- आत्मानो ओक देश आपी शकाय नहीं. तेथी नक्की थयु के 'नोजीव' नामनी राशि दुनियामां छे नहीं; अने तेथी जीव, अजीव अने नोजीव ओम त्रण राशि दुनियामां होवानी रोहगुप्तनी वात खोटी ठरतां ते हार्या. उपरना प्रसंगमां खास नोंधपात्र वात ओ छे के श्रीगुप्ताचार्य जे १४४ वस्तुओनी मांगणी करे छे, तेमांथी घणी घणी वस्तुओ जैनमतने सम्मत नथी. सामान्य, विशेष अने समवाय ओ त्रण (स्वतन्त्र) पदार्थो तो जैनमते सम्भवता ज नथी. माटे तेनी मांगणी करवानुं प्रयोजन ज होई शके के मांगणीना जवाबमां ना पाडवामां आवे अने तेथी ते वस्तुओ नथी ओ साबित थाय. पण नोजीवनी साथे ने साथे आ बधी वस्तुओना पण नास्तित्वनी सिद्धि शा माटे

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