Book Title: Nayadhammakahao
Author(s): Jinshasan Aradhana Trust
Publisher: Jinshasan Aradhana Trust
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130 नायाधम्मकहाओ
[IX.90निव्वुइकरं सम्वोउयसुरभिकुसुमवुहिँ पमुंचमाणी ॥२॥ नाणामणिकणगरयणघंटियखिंखिणिनेउरमेहलभूसणरवेणं । दिसाओ विदिसाओ पूरयंती वयणमिणं बेइ सा कलुंसा ॥३॥ होल वसुल गोल नाह दइय पिय रमण कंत सामिय निग्घिण नित्थक । थिण्ण निकिवं अकयन्नुय सिढिलभाव निल्लज्ज लुक्ख अकलुण जिणरक्खिय ममं हिययरक्खग॥४॥ न हु जुज्जसि एक्कियं अणाहं अबंधवं तुझ चलणओवायकारियं उज्झिउमर्धन्नं । गुणसंकर हं तुमे विहूणा न समत्था जीविउ खणंपि ॥५॥ इमस्स उ अणेगझसमगरविविधसावयसयाकुलघरस्स । रयणागरस्स मझे अप्पाणं वहेमि तुज्झ पुरओ एहि नियत्ताहि जइ सि कुविओ खमाहि एकविराहं मे ॥६॥ तुज्झ य विगयघणविमलससिमंडलागारसरिलरीयं सारयनवकमलकुमुदकुवलयविमलदलनिकरसरिसैनिभनयणं । वयणं पिवासागयाए सी मे पेच्छिउँ जे अवलोएहि ता इओ ममं नाह जी ते पेच्छामि वयणकमलं ॥७॥ एवं सप्पणयसरलमहुरौंई पुणे २ कलुणाई वयणाई जंपमाणी सा पावा मग्गओ समण्णेइ पावहि ॥८॥ तए णं से जिणरक्खिए चलमणे तेणेव भूसणरवेणं कण्णसुहमणोहरेणं तेहि य सप्पणयसरलमहुरभणिएहिं संजायविउणअणुराए रयणदीवस्स देवयाए तीसे सुंदरथणजहणवयणकरचरणनयणलावण्णरूवजोवण्णसिरिं च दिव्वं सरभसउवगूहियाई बिब्बोयविलसियौणि य विहसियसकडक्खदिहिनिस्ससियमलियउवललियथियगमणपणयखिज्जियपसाइयाणि य सरमाणे रागमोहियमई अवसे कम्मवसगए अवयक्खइ २. ओ सविलियं । तए णं जिणरक्खियं समुप्पन्नकलुणभावं मच्चुगलत्य गोल्लियमई अवयक्वंतं तहेव जक्खे उ सेलए जाणिऊण सणियं २ उव्विहइ नियगपिट्ठाहिं विगयसैद्धे । तए णं सा रयणदीवदेवया निस्संसा कलुणं जिणरक्खियं सकलुसा सेलगपिट्टाहिं ओवयंतं-दास! मओसित्ति अपनाणी अंपत्तं सागरसलिलं गेण्हिय बाहाहिं आरसंतं उड़े उन्विहइ अंबरतले ओवयमाणं च मंडलग्गेण पडिच्छित्ता नीलुप्पलगवलअयसिपगासेना असिवरेणं खंडाखडि करेइ २ तत्थ विलवमाणं तस्स य

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