Book Title: Nayadhammakahao
Author(s): Jinshasan Aradhana Trust
Publisher: Jinshasan Aradhana Trust

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Page 209
________________ 196 नायाधम्मकाओ [XVI.131 कण्हे वासुदेवे गंगं महानई बाहाहिं उत्तरित्तए उदाहु नो पहू उत्तरित्तए चिकट्टु एगडियांओ मेंति २ कण्डं वासुदेवं पडिवालेमाणा २ चिट्ठति । तणं से कहे वासुदेवे सुट्ठियं लवणाहिवई पासइ २ जेणेव गंगा महानई तेणेव उवागच्छइ २ एगट्टियाए सव्वओ समंता मग्गणगवेसणं करेइ २ एगट्ठियं अपासमाणे एगाए बाहाए रहं सतुरगं ससारहिं गेण्हइ एगाए बहाए गंगं महानई बासट्ठि जोयणाई अद्धजोयणं च वित्भिण्णं उत्तरिउं पयत्ते यावि होत्था । तए णं से कण्हे वासुदेवे गंगाए महानईए बहुमज्झदेसभाएँ संपत्ते समाणे संते तंते परितंते बद्धसेए जाए या होत्या । तए णं तस्स कण्हस्स वासुदेवरस इमेयारूवे अज्झथिएअहो णं पंच पंडवा महाबलवगा जेहिं गंगामहानई बावट्ठि जोयणाई अद्धजोयणं च वित्थिण्णा बाहाहिं उत्तिणा । इच्छंत एहिं णं पंचहिं पंडवेहिं परमनांभे हयमहिय जांव नो पडिसेहिए । रुए णं गंगादेवी कण्हस्स वासुदेवस्स इमं एयारूवं अज्झत्थियं जाव जाणित्ता थाहं वियर । तणं से कहे वासुदेवे मुहुत्ततरं समासासेइ २ गंगं महानदिं बावट्ठि जाव उत्तरइ २ जेणेव पंचपंडवा तेणेव उवागच्छइ पंच पंडवे एवं वयासीअहो णं तुभे देवाणुपिया ! महाबलवगा जेहिं णं तुब्भेहिं गंगामहानई बावट्ठि जाव उत्तिणा । इच्छंतएहिं णं तुब्भेहिं पउमनाहे जाव नो पडिसेहिए । तए णं ते पंच पंडवा कण्हेणं वासुदेवेणं एवं वृत्ता समाणा कन्हं वासुदेवं एवं वयासी - एवं खलु देवाणुप्पिया! अम्हे तुन्भेहिं विसज्जिया समाणा जेणेव गंगा गहानई तेणेव उवागच्छामो २ एगट्टियाए मग्गणगवेसणं तं चैव जाव णूंमेमो तुब्भे पडिवालेमाणा चिट्ठामो । तए णं से कहे वासुदेवे तेसिं पंचपंडवाणं अंतिए एयमहं सोच्चा निसम्म आसुरुते जाव विब्रलियं एवं वयासी - अहो णं जया मए लवणसमुद्द दुबे जोयणसयसह स्सवित्थिण्णं वीईवइत्ता पउमनाभं इयमहियं जाव पडिसेहित्ता अवरकंका संभग्गा दोवई साहस्थि उवणीया तया णं तुन्भेहिं मम माहप्पं न विन्नायं इयाणिं जाणिस्सह त्तिकट्टु लोहदंडं परामुसइ पंच पंडवाणं रहे सुरेइ २ निव्विस आणवेइ २ तत्थ णं रहमणेः

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