Book Title: Nayadhammakahao
Author(s): Jinshasan Aradhana Trust
Publisher: Jinshasan Aradhana Trust
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नायाधम्मकहाओ [xix पुंडरीए कंडरीयं एवं वयांसी-माणं तुम भाउया ! इयाणिं मुंडे जाव पव्वयाहि । अहं णं तुमं महारायाभिसेएणं अभिसिंचामि । सए णं से कंडरीए पुंडरीयस्स रन्नो एयमढें नो आढाइ जाव तुसिणीए संचिट्ठइ । वएणं पुंडरीए राया कंडरीयं दोचंपि तञ्चपि एवं पयासी जाव तुसिणीए. संचिट्ठइ । तए णं पुंडरीए कंडरीयं कुमारं जाहे नो संचाएइ बहहिं आघवणाहि य पन्नवणाहि य ४ वाहे अकामए चेव एयमहूँ अणुमनित्था जाव निक्खमणामिसेएणं अभिसिंचइ जाव थेराणं सीसभिक्खं दलयइ पव्वइए अणगारे नाए एकारसंगवी । तए णं घेरा भगवंतो अन्नया कयाइ पुंडरिगिणीओ नयरीओ नलिणिवणाओ उमाणाओ पडिनिक्खमंति २ बहिया जणवयविहारं विहरति । ' (146) तए णं तस्स कंडरीयस्स अणगारस्स सेहिं अंतेहि य पंतेहि य जहा सेलगस्स जाव दाहवकंतीए यावि विहरइ । तए णं थेय अन्नया कयाइ जेणेव पोंडरिगिणी तेणेव उवागच्छंति २ नलिणीवणे समोसढा। पुंडरीए निग्गए धम्मं सुणेइ । तए णं पुंडरीए राया धम्म सोच्चा जेणेव कंडरीए अणगारे तेणेव उवागच्छइ २ कंडरीयं वंदइ नमसइ २ कंडरीयस्स अणगास्स्स सरीरगं सव्वाबाहं सरोगं पासइ २ जेणेव थेरा भगवंतो तेणेव उवागच्छइ २ थेरे भगवंते बंदइ नमसइ २ एवं वयासीअहण्णं भवे ! कंडरीयस्स अणगारस्स अहापवत्तेहिं ओसहभेसनेहिं जाव तिगिच्छं आउंटामि। तं तुब्भे गं मंते ! मम जाणसालासु समोसरह । तए णं थेरा भगवंतो पुंडरीयस्स पडिसुऐति भाव उवसंपजिसाणं विहरति । तए णं पुंडरीए महा मंडुए सेलगस्स जाप बलियसरीरे जाए । सए णं थेय मगवंतो पुंडरीयं रायं आपुच्छंति २ बहिया जणवयविहार विहरति । तए णं से कंडरीए ताओ रोयायंकाओ विप्पमुक्के समाणे तंसि मणुनंसि असणपाणखाइमसाइमंसि मुच्छिए गिद्धे गढिए अझोषवन्ने नो संचाएइ पुंडरीयं आपुच्छिचा बहिया अब्भुज्जएणं जाव विहरित्तए तत्व ओसन्ने जाए । तए णं से पुंडरीए इमीसे कहाए लद्धढे समाणे हाए अंतेउर. परियालसंपरिखुडे जेणेव कंडरीए अणगारे तेणेव उवागच्छइ २

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