Book Title: Navtattva Prakaranam Sumangalatikaya Samalankrutam
Author(s): Dharmvijay
Publisher: Muktikamal Jain Mohanmala

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Page 8
________________ >卐z श्रीमते ज्ञात-नन्दनाय नमोनमः ॥ مامجمه المحامي प्रकाशकनुं निवेदन। -3 >卐< 10997095 3 श्रीमन्मुक्तिकमल जैनमोहनमालाना ३२ मा पुष्पतरीके सुमङ्गलाटीकासमलङ्कत श्रीनवतत्त्व प्रकरण नामना महत्वपूर्णप्रन्थप्रकाशन करतां अमने अतीव हर्ष थाय छे. नक्तत्व ए जैनदर्शननो पायो छे अने ए कारणथी ज भूमिकामां जणाव्या मुजब अनेक प्राज्ञमहर्षिओए ए नवतत्त्व उपर विशाल साहित्यर्नु आयोजन कर्यु छ, यद्यपि भिन्नभिन्न कर्त्ताओ तरफथी भिन्नभिन्न प्रणालिकामां उपनिबद्ध नवतत्त्वसाहित्य दृष्टिगोचर थाय छे तोपण ५९ गाथाओमां योजाएलु जे नवतत्वप्रकरण छे तेना अभ्यासनो प्रचार प्रायः सर्वत्र जोवामां आवे छे. ५९ गाथामां उपनिबद्ध ए नवतत्त्वप्रकरण उपर हिंदी-गुर्जर अनुवादो अनेक महाशयो तरफथी तैयार थइ अनेक संस्थाओ तरफथी ते अनुवादोर्नु प्रकाशन थयु छे. एम छतां गीर्वाण ( संस्कृत ) गिरामां ए ५९ गाथाओ उपर विवेचन करवान कोइ प्राज्ञमहाशयनुं ध्यान गयुं होय तेम जणायुं नथी. 9-

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