________________
भूमिका ॥
श्रीनवतत्त्वसुमङ्गलाटीकायां
न卐y -><卐>yz
प्रकरण, योगशास्त्रवृत्ति, धर्मरत्नप्रकरणवृत्ति, समयसार प्रकरण, तेमज त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित्र विगेरे धर्मकथानुयोगमा आवतो नवतत्त्व सम्बन्धी उपदेश इत्यादि ग्रन्थो नवतत्त्वनु विशिष्ट प्रतिपादन करनारा छ। ए प्रमाणे अनेकग्रन्थोमां नवतत्त्व सम्बधी साहित्य दृष्टिगोचर थाय छे तोषण तत्त्वोनो स्वतंत्र बोधलेवा माटे आ नवतत्त्व प्रकरण
अति प्रसिद्ध तेमज घणुं उपयोगी छे. आ नवतत्त्व प्रकरण १४ गाथामां, २७ गाथामा ५९ गाथामां, १४० खास नवतत्त्वमुंज गाथामां, विगैरे अनेकप्रकारे भिन्न भिन्न चिरंतनाचार्योथी रचायेलं जोवामां आवे छे. अने ते नवतत्त्व प्रतिपादन करनारा विषयक मूलगाथाओ उपर अनेक महापुरुषोए रचेली भाष्य, अवचूरि, संक्षिप्तटीका, बालावबोध, टब्बा तेमज ग्रन्थो। पद्यबन्ध विविधस्तवनोनी हारमाला दृष्टिगोचर थाय छे, जे नीचे आपेल लिस्टथी जणाइ आवे छे
नैवतत्त्व साहित्यग्रन्थोनी सूची. प्राकृतसंस्कृतसाहित्य. ग्रन्थकार. । प्राकृतसंस्कृतसाहित्य,
ग्रन्थकार, १ नवतत्त्वप्रकरणमूल
४ नवतत्त्वविचारसारोद्धार, गा०८ २ नवतत्त्वविचार २ भावसागर
५ नवतत्त्वसार प्रकरण (कुलक) ५ अंचल० श्रीजयशेखरसूरि ३ बृहन्नवतत्त्व
६ नवतत्त्वसार
१ आ सूचि प्राचीनभंडारोना लीस्टो तेमज श्री जैनग्रन्धावलि आदिमां नवतत्त्व संबंधी थएल उल्लेखोना आधारे मेळवीने आपेल छे.
ह