Book Title: Mohanlalji Arddhshatabdi Smarak Granth
Author(s): Mrugendramuni
Publisher: Mohanlalji Arddhashtabdi Smarak Granth Prakashan Samiti

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Page 340
________________ Jain Education International શ્રી મોહનલાલજી જ્ઞાનભંડાર, સૂરતકી તાડપત્રીય પ્રતિયાં १२ ८ कुलकादि संग्रह, रत्नसिंहसरि एवं पद्मनाभ (जो शायद आचार्यपद से पहले का दीक्षा नाम हो) की ३४ रचनाएं पत्र ७३, सूची क्रम सं... आदिपद . गाथा कृतिनाम ताडपत्रांक पृष्ठाङ्क - १ कल्याणशस्यपाथोदं २४ . आत्मचिंताभावना-चूलिका - रत्नसिंहसूरि . २ पाकृतः संस्कृतो वापि २५ आत्मानुशास्ति . ३ जयजयभुवणदिवायर ३०. ऋषभदेवविज्ञप्तिका ४ सिरिधम्मसूरिसुगुरुं अप्पाणुसासणं ५ जइ जीव तुझ सम्म १२ . हितशिक्षाकुलक ६ नारीण बहिरंगे संवेगचूलिकाकुलकम् , १८ १० ७ अमियमऊ हं नेमि नेमिनाथ स्तोत्र १९ १० ८ मंगलवरतरुकंद पार्श्वनाथ स्तोत्रम् सिरिपासतिजयसुंदर १० जय जय नेमि जिणंद तुहु १३ श्री नेमिनाथ स्त० ११ , , पहु ८ श्री नेमिनाथ स्त० अणहिलवाडा १२ सिरि नेमिनाह सामिय जइवि १२ श्री नेमिनाथ स्त० १३ मूर्तयस्ते वपने क्षपन्ते १४ जयइ स जएक्कदीवो ___ श्री धर्मसूरि स्तवन-षट्त्रिंशिका २८ १५ १५ नियगुरुपायपसाया आत्महितचिन्ताकुलक, " ३२ १७ १६ सिरिधम्मसूरिपहुणो मनोनिग्रहभावनाकुलक, पउमनाह ३५ १९ For Personal & Private Use Only ३२ ४४ www.jainelibrary.org

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