Book Title: Mohanlalji Arddhshatabdi Smarak Granth
Author(s): Mrugendramuni
Publisher: Mohanlalji Arddhashtabdi Smarak Granth Prakashan Samiti
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શ્રી માહનલાલજી અને શતાબ્દી મને दोनों संमीलित है. इस से कभी कभी संपूर्ण कारिका पृथक् लिखी गई है और कभी कभी कारिका के अंशों की पृथक् पृथक् व्याख्या करने के लिये कारिका के अंश यथायोग विभक्त भी किये गये हैं.
यद्यपि सातवी शताब्दी के बाद रचे हुए भारतीय प्राचीन प्रायः सभी दार्शनिक साहित्य में बौद्ध प्रन्थों के अवतरण मिलते है फिर भी जैन दार्शनिक साहित्य में बोद्ध प्रन्थों के अवतरण अत्यंत विपुलतया मिलते हैं. यहा तक कि नष्ट हुए बौद्ध संस्कृत प्रन्थों के अनेक अंश भी कभी कभी इन जैन साहित्यान्तर्गत उल्लेखों के आधार से तैयार किये जा सकते है. धर्मकीर्ति की सम्बन्धपरीक्षा और स्ववृत्ति का बहुत कुछ अंश जैन साहित्य के आधार से तैयार किया जा सकता है यह पहले हम कह चुके हैं वैसे हेतबिन्दु का मूल भी उत्पादादि सिद्धि नामक जैन ग्रन्थ की सहायता से बहुत अंशों में तैयार किया जा सकता है इस free में प्रमाणविनिश्चय के थोडे ही अंश खास कर के जैन साहित्य के आधार पर हमने दिये हैं किन्तु यदि विशेष गवेषणा की जाय तो जैन दार्शनिक साहित्य में वि सामग्री मिलने की सम्भावना है कि जो प्रमाणविनिश्चय के संस्कृत में पुनरुद्धार करने के लिये खास उपयुक्त होगी.
इसी तरह प्रमाणसमुच्चय नाम का एक महत्त्व का बौद्ध प्रन्थ कि जो बौद्धन्याय के पिता, विज्ञनाम की रचना के और जो संस्कृत भाग में नौ साजिस का तीस मी संस्कार की
जैन ग्रन्थों में प्राप्त होती है ।
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आचार्य श्री सलवाविसमा भ्रमणः प्रमीत द्वादशार नव लिये विपुल साम है जिस का उपयोग कर के तक के सम्पादन : प्रम्राणसमुचय के महन्त्र के अंश का पुनकद्वार इसमें जयंचक्र के टिपण एवं परिशिष्ट में किया है. इस तरह से यह परिशीलन दार्शनिक ग्रन्थों के अभ्यासी एवं ऐतिहासिकों को महान् उपयुक्त होगा ।
सिसा पार्श्वनाथ तीर्थ,
षष्ठी, वि. सं. २०१८
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पूज्यपाद गुरुदेव मुनिराज श्रभुवन विजयासी F "मुनि जम्मूविजयः हित
की रचना प्रसिद्ध जैनाचार्य श्री. हेमचन्द्रसूरीश्वरजी के गुरुबन्धु प्रद्युम्नुसूरि, चन्द्रसेन की है. रतलाम ( मालवा ) की ऋषभदेवजी केसरीमलजी नाम की प्रकाशन हुआ है. १०. इस नयत का ह्रस्यादद सभावार की जैन आत्मानंद भासे तीन जी
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શ્રી મેહનલાલજી અર્ધ શતાબ્દી સ્મારક ગ્રંથના નીચેના કરમાએ શ્રી મહાદુરસિંહજી પ્રિન્ટીંગ પ્રેસ પાલીતાણામાં છપાયેલ છે.
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