Book Title: Meru Trayodashi Mahatmya Ane Devdravya Bhakshan Ka Natija
Author(s): Mansagar
Publisher: Hindi Jainbandhu Granthmala

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Page 2
________________ प्रस्तावना आज कल हमारे जैन समाज में कुप्रथाओं का विशेष कर प्रचार बढ़ गया है. हम हमारे पूवाचार्यों भाषित व्रत, नियमादि छोड संसार वर्धक उपन्यास नॉवेल पढकर व्यर्थ ही टाइम खोते हैं. - इस बात पर लक्ष देकर परम पूज्य आगमोद्धारक जैनाचार्य श्रीमद् सागरानन्दसूरीश्वरजी के लघु शिष्य मुनिराज श्रीमानसागरजी महाराज साहब ने व्रत नियमों की कथाएं उपन्यास के तौर पर हिन्दी में अनुवाद कर छपवाना शुरु किया है। . यह पुस्तक मेरु त्रयोदशी महात्म्य की है. इसमें देव द्रव्य भक्षण करनेसे क्या हानि होती है? और किसको हुई? तथा किस तरह से वह प्रायश्चित से मुक्त हुआ ? एवं व्रत का आराधन किस रीति से करना ? इत्यादि अच्छी तरह से बतलाया गया है।

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