Book Title: Mantrakalpa Sangraha tatha Gandhar Jayghoshstotradi
Author(s): Kalyanvijay Gani
Publisher: Mandavala Jain Sangh
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श्री मन्त्राधिराज-यन्त्रोद्धारः
___ अथ द्वितीयः पटल मन्त्राधिराजवलयेषु यथास्थितानि,
वक्ष्यामि सप्तसु यथाक्रममक्षराणि । आद्य जिनेन्द्रषट्कोणविधिन्तु मंत्र
___वणं क्रमेण सहितं तु हिताय वच्मि ।।१।। आदौ जिनेन्द्रवपुरद्भतमन्त्रयन्त्रा
ह्वानासनानि१ सकलीकरणञ्च २ मुद्रा३ । पूजां४ जपं५ तदनु होम विधि६ षडेव
कर्माणि संस्तुतिमहं सकलं भरणामि ॥२॥ आद्यावनीतलसरोवरहाटकाद्रि
नालोद्भवाष्टहरिदग्रयदलासनस्थम । चन्द्राभचीवरजयाविजयागृहीत
. गङ्गोदकप्रवरचामरवीज्यमानम् ॥३॥ ऐरावतप्रतिमकुम्भिकृताभिषेकं,
छत्रत्रयीत्यथ जगत्रयनायकत्त्वम् । पर्यङ्कशायिवपुषं सुखसिन्धुमग्नं,
_ नासानिवेशपरिपेशलदृष्टियुग्मम् ।।४।। . बालप्रवालकदलीदलनीलकान्ति,
- क्षाराब्धिमध्यवसुधातलतुल्यदेहम । दुर्लक्ष्ययोगिकलयाऽमलया परीतं,
- पञ्चेन्द्रियप्रसररोधकबोधशुद्धम् ॥५॥ स्वीयातिनीलमहसा सह सागराद्रि
___ वृक्षस्थलोभिरवनी किल नीलयन्तम् । पार्श्वस्थपार्श्वकमठासुरसेविताह्नि
___पुष्टाष्टकर्मपटलद्रु दवानलाभम ।।६।। शान्तं शिव सुखकरं परमस्वरूपं . .. व्यक्तेतरं परमहंसकलंगतारिम् ।
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