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१३३ रहात चायुषु
इतनी मतेकरी' निम्मे दिश्दी आ दिवर्धनी कलौ तेजावना जीवीत प्रांथी॥१३॥ सो विग्रहन' निष्कलो तस्त॥१३॥ हजेसा सोसा मनुफला एक सोदर्षना' उसास' चनारी को हिसया।। [चारसे को को | कोमं सात लाख प्रमतालीसने कोमा नु सततरक मय् ला 'वातीस वजी हजार' ४२५ ४८४०००० चाला सच सहस्सा वर्ष एक सोय सामोसा सेते दमाँ थी॥। १॥ दास सती' ऊसासार
एक साससास'
इक्हो' विकसासो नहीं रहीत होईपऐकरीनैने नये शहन होईपु एवं पटेि