Book Title: Mantradhikar
Author(s): Ahmedabad Vidyashala
Publisher: Ahmedabad Vidyashala

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Page 267
________________ પ सुकतोर्थ द्याय' ते तो नहीं मानतायत र तारी कथं कारमयं भवा त्रि॥२२५ गयाभवही सुकत में नहसुं ॥ संका खाली जा संयुत्तरथा वधसुत नामा॥ पूर्वेभिवेकाम या'न' ।। प्रावतारमा 'नही करी गाजिनमखिनो कथिये ।। जिकारण गटेज एडपका रनौत कार लभ टैमाहावे नष्टया 'सुते प्रात्तामा रहे । ਗਈ॥ ਵਸ हेनाभोवन'चकोर' भूतवा' गयोकाजं भविष्य) वावतो काले वर्तमान काल एत्र एपे जन्म 'पुन्प' मुकतेने करवाथी' माटेकीन तरीस भूतोद्रवादिभत्रयाः॥२३॥ सुंश्था मुधा वा फोगट 'ऊँप व्हारे देव विवाहबध सुधा

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