Book Title: Mantradhikar
Author(s): Ahmedabad Vidyashala
Publisher: Ahmedabad Vidyashala

View full book text
Previous | Next

Page 285
________________ 299 यरियनमुक्का रो।। जीवमोएई भट्स हस्तानं ॥ भांवे की रमा गो॥ होई पुणो दो हिला भाए ॥१७॥ आयरन मुकारो।। " सहावं'पलास लो॥ मंगलाच सद्दे सिंग तईय हव मंगलं ॥१ इतिश्री गुरु प्रदक्षणा 'सप्तातः ॥ anu राणाश्थ जीवानुसा स्ति कलक रेजीव किं न बुन सि!! चनगई सँसारसाय रे धोरे। मामी त कालंग अरहट्ट' छ मिह जनम ने श रेजीवचिंत सिडमं ॥

Loading...

Page Navigation
1 ... 283 284 285 286 287 288