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एमथ के पि श्रसीजरूप जुन राम् ॥२६॥ पहनुदित्रखं सालभूगे॥१५॥ संदरी जी दूषभदेवती पुत्री सानंदा वैशस्तंपीता मानोरेल लाभेली कती स्त्री संदरिकनंद चिह्नणा ।। लोरमा दर्शन से वजी स्त्रीगंज | हनुमानन आता मृगावती चंदनबालानी रेला'
मलोरमा 'अंजल' मिगाव।। एजिन्भासनमां' प्रसिद्ध वा दिरणा देवी 'भली जिलसास 'संप्रसिद्ध
मोटी सती जो हेलो' नुमनै सुषा ते द्यो ।१५।। महास ईन सह दिनु ॥ २५॥ अलंकारी भट्टानुरनिंदा कथाः ते अहंकारित्र ३ स्प्रिं ।। सांगलीने को नून को निश्शे प्रस्तव अर्थात छ। सुशनल कोन पुरा ईहरसा) ऐज
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