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मोहासवारनेसेनस्त' नट लामो देवो' गुरु जो समारू तिहीन हैदरी ने मुनिराज ' कोइ गृहस्थनाघर दरिंदे ॥ तियों का तथा केवल ज्ञांनी थ यो । ही सहसा विली' जान ! ६॥ कपिलना में ब्राह्मपतिमनि कविलोल मल ।।।
मार देला
कानामेवाही माही पणामनय असोगरलिग्रामशयार म जै' जहाला हो त व्हालो होला हाल हो वहुई दो मा साक्ष्य कज्जे को ही एननीवई ला हा जो हन्त्रिषयं ॥ रातो को थ्यो' जाती समरणवंत अनुक्रम मै केवली थयेो ॥१॥"
गानों थी
जायं तो जायजा इसरो ॥