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पूषा करणे एक गुंए॥ ते हया एक सो गुलुपुन्य्' प्रतीमा' भरादें पूजें छाय् ॥ तूली
एगगुणं' सय गुणंच मिमा।। तेथी श्री जिनभुनकर में हजार गुणुपुन्प !! जिएमले 'सहस्सं तरानंतगुपुन्पफल 'शत्रुंजय तीर्थ
पाल एक वें होय ॥१४॥
ताँतगुणं पालो हो ||१४| भुनीतिमा' वा' देहरासर एहिमं चेहरे क
श्री शत्रुजल गिरीतार्थ 'मस्तकें 'वा' उपर' करें करा देते
सिन्धुंज ( गरी एस प्रभुएं कुएइम मुझे भोगवार्तत्रनुराज्य' एटले जाव तचक्रवर्त्तिपभोगवा