Book Title: Mahavir Darshan
Author(s): Pratap J Tolia
Publisher: Vardhaman Bharati International Foundation

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Page 6
________________ (F) (वृंदगान) (साप धधध मगमपएप - धिध प। परेसारे नी) "कोकिल मोर करे कलशोर, वायु बसन्ती बहता रहा, क्षत्रियकुंड में माँ त्रिशला को पुत्र पवित्र का जन्म हुआ।" राजा सिध्दार्थ और रानी त्रिशला के नंदन 'वर्धमान' के जन्म का यह आनंदोत्सव, यह "कल्याणक", सभी मनाते हैं - उधर मेरु पर्वत पर देवतागण और इधर धरतीलोक पर राजा सिध्दार्थ एवं उनके प्रजाजन (सूरमंडल) (राग-बसंत बहार, केदार; ताल-त्रिताल) "घर घर में आनंद है छाया, घर घर में आनंद। (सासामगए, पनीसारें, सांपध, धनीधप । एएएए ए सांप, परेसा) (वाघ-सागप) त्रिशला मैया पुत्र प्रगटिया, जैसे पूनम का चंद॥ घर घर में। (पपप सा-सा। सांसांसां नीरेसा। सांग रेमं गरें। सां-बाप/सा-/म-रेस) (सासामग/ए-पनी सारें। सां-घ॥धनी यप। पपपए / ए-सां-1) (म- - साप-रे सा/सासामय। ए -नी - सां 7II) "गोख गोख में दीप जले हैं, केसर कुमकुम रंग खिले हैं। धरती के गूद अंतस्तल से, प्रसरित धूप सुगंध... | घर घर में। “कुंज कुंज कोयलिया बोले, मस्ती में मोरलिया डोले। मंजुल कंठ से, मीठे स्वरसे, गायें विहग के वृंद।। घर घर में ।। (सूरमंडल) और इस महामंत्रलकारी जन्मकल्याणक के पश्चात् - (M) -

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