Book Title: Mahavir Charitra
Author(s): Motilal Hirachand Gandhi
Publisher: Motilal Hirachand Gandhi

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Page 234
________________ रुपसुंदरी ~ के प्रकरण २ जुं. से सत्समागम. AK वदत्त साथे संकेत करी रुपसुंदरी पोताना खेतरमा जवा नीकळी, जे पहेला प्रकरणमा जणाववामां आव्युं छे. घेरथी न्हासी जई, । स्वतंत्र रहेवाथी घणुंज सुख मळे छे एवं तेना हृदयमां ठसी गयेलं होवाथी देवदत्त साथे न्हासी जवानो तेणीए पाको विचार कयों हतो. आ भावी सुखमां लवलीन थई ते चालती हती, तेवामां रस्तानी एक बाजुए पण नजकिमां शीलापर बठेला एक तरुण मुनि उपर तेणीनी नजर पड़ी. ___ आ मुनिनी उमर हजु पचीस वर्षनी पण थई नथी छतां आटली वयमां वैराग्य प्राप्त करी सकळ विषयसुखोपभोगनो त्याग करवो, ए काई स्हेलुं नथी. आ क्ये जे मनोविकार वर्षों सुधी जळवृष्टि प्रमाणे कोईने पण न गणकारतां कनककामिनीविलास पाछळ दोडवानु, तेमां मम करनारूं-नहीं, उलटी गति आपनारु-परमार्थ तरफ वाळनार आ महात्माना आत्मबळy वर्णन करवानी शक्ति कोनी कलममा छ ? __ आटली वयमां वैराग्य प्राप्त थवो, ए कदाच पूर्वजन्मना शुभकर्म कारणभूत हशे, परंतु ते प्रमाणे तरवारनी धार जेबां प्रतनुं पालन करवू, तेमा अलौकिक पुरुषार्थ नथी एवं कोण कहशे ?

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