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रुपसुंदरी.
समये रहेनो पिता मरण पाम्यो अने हेनी अढळक लक्ष्मी वगर महेनते आवी मळवाथी हेनी आ नीच वृत्तिने पुष्टि कर थई पही अने ते संपत्ति पण दुर्मार्गे जवा लागी. व्याजबीज छे के गरीब भोळा मनुष्योनी देखती आंखमां धूळ नांखी मेळवेली लक्ष्मी आवा दुर्गे न जाय, तो जाय पण कया रस्ते ?
___ आ नीच तरुणने पुष्कळ दिवसथी रुपसुंदरीनो मोह लाग्यो हतो. हेणीना स्वभाव वगेरेनी जो के हेने माहीति नहोती किंवा तेणीनी अने रहेनी ओळख पण थई नहोती, तोपण त्हेना वर्तणुक अने मनन चंचळपणु देखाडनार हेणीनो अभिनय, एटलं बाह्य कारणज हेने तेज विषयमां दुर्वासना उत्पन्न थवानुं सबल कारण हतुं; परंतु हेणीनो कदिपण एकांतमा मेलाप न थवाथी हेणे पोतानी आ वासना तेणी पासे भाज सुधी खुल्लो रीते कही बतावी नहोती ! ते मेलाप हेना सुदैवे (!) हेने अचानक आज प्राप्त थयो । ते पण कोई काम परत्वे आज आवीज रीते पोताना खेतरमा जतो हतो.
रुपसुंदरीनो पोशाक दररोज प्रमाणे आज पण भभकदार हतो. हेणीए एक काळी चंद्रकळा धारण करी, जरीनी बुट्टेदार चोळी पहेरी हती अने अष्टमीना चंद्र जेवा पोताना ललाटमां कंकुनी एक नानी टोलडी करी हती. आ वखतनो रहेनो पोशाक अने चटकमटक एमांथी एकज तरफ जो कोईनी