Book Title: Mahabharat Samhita Part 01
Author(s): Bhandarkar Oriental Research Institute
Publisher: Bhandarkar Oriental Research Institute

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Page 811
________________ विराटपर्व वत्स्यामो यत्र राजेन्द्र संवत्सरमिमं वयम् // 10 जनमेजय उवाच। युधिष्ठिर उवाच / कथं विराटनगरे मम पूर्वपितामहाः। एवमेतन्महाबाहो यथा स भगवान्प्रभुः / अज्ञातवासमुषिता दुर्योधनभयार्दिताः // 1 / अब्रवीत्सर्वभूतेशस्तत्तथा न तदन्यथा // 11 वैशंपायन उवाच। अवश्यं त्वेव वासार्थ रमणीयं शिवं सुखम् / तथा तु स वराल्लब्ध्वा धर्माद्धर्मभृतां वरः / / संमन्य सहितैः सर्वैर्द्रष्टव्यमकुतोभयम् // 12 गत्वाश्रमं ब्राह्मणेभ्य आचख्यौ सर्वमेव तत् // 2 मत्स्यो विराटो बलवानभिरक्षेत्स पाण्डवान् / कथयित्वा तु तत्सर्वं ब्राह्मणेभ्यो युधिष्ठिरः / धर्मशीलो वदान्यश्च वृद्धश्च सुमहाधनः / / 13 अरणीसहितं तस्मै ब्राह्मणाय न्यवेदयत् // 3 विराटनगरे तात संवत्सरमिमं वयम् / ततो युधिष्ठिरो राजा धर्मपुत्रो महामनाः / कुर्वन्तस्तस्य कर्माणि विहरिष्याम भारत // 14 संनिवानुजान्सर्वानिति होवाच भारत // 4 यानि यानि च कर्माणि तस्य शक्ष्यामहे वयम् / द्वादशेमानि वर्षाणि राष्ट्राद्विप्रोषिता वयम् / कर्तुं यो यत्स तत्कर्म ब्रवीतु कुरुनन्दनाः / / 15 त्रयोदशोऽयं संप्राप्तः कृच्छ्रः परमदुर्वसः // 5 अर्जुन उवाच।। स साधु कौन्तेय इतो वासमर्जुन रोचय। . नरदेव कथं कर्म राष्ट्रे तस्य करिष्यसि / यत्रेमा वसतीः सर्वा वसेमाविदिताः परैः // 6 विराटनृपतेः साधो रंस्यसे केन कर्मणा // 16 . अर्जुन उवाच / मृदुर्वदान्यो ह्रीमांश्च धार्मिकः सत्यविक्रमः / तस्यैव वरदानेन धर्मस्य मनुजाधिप / राजंस्त्वमापदा क्लिष्टः किं करिष्यसि पाण्डव॥१७ अज्ञाता विचरिष्यामो नराणां भरतर्षभ // 7 न दुःखमुचितं किंचिद्राजन्वेद यथा जनः / किं तु वासाय राष्ट्राणि कीर्तयिष्यामि कानिचित् / स इमामापदं प्राप्य कथं घोरां तरिष्यसि // 18 . रमणीयानि गुप्तानि तेषां किंचित्स्म रोचय // 8 युधिष्ठिर उवाच / सन्ति रम्या जनपदा बन्नाः परितः कुरून् / शृणुध्वं यत्करिष्यामि कर्म वै कुरुनन्दनाः / पाञ्चालाश्चेदिमत्स्याश्च शूरसेनाः पटच्चराः। विराटमनुसंप्राप्य राजानं पुरुषर्षभम् // 19 दशार्णा नवराष्ट्रं च मल्लाः शाल्वा युगंधराः॥ 9 / सभास्तारो भविष्यामि तस्य राज्ञो महात्मनः / एतेषां कतमो राजनिवासस्तव रोचते / कङ्को नाम द्विजो भूत्वा मताक्षः प्रियदेविता // 20 म. भा. 101 - 801 -

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