Book Title: Madhyakalin Hindi Jain Sahitya me Rahasya Bhavna
Author(s): Pushpalata Jain
Publisher: Sanmati Vidyapith Nagpur

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Page 9
________________ विषयानुक्रम ___59-89 उपस्थापना : 1.16 1. प्रथम परिवर्तकाल विभाजन एवं सांस्कृतिक पृष्ठभूमि- 1-19 काल विभाजन, सांस्कृतिक-राजनीतिक-धार्मिक पृष्ठभूमि, वैतिक-अनलोड धर्म, सामाजिक पृष्ठभूमि. 2. द्वितीय पत्थित-पादि कालीन हिन्दी न काव्य प्रवृत्तियां- 20-33 3. तृतीय परिवर्त-मध्यकालीन हिन्दी जैन काव्य प्रवृत्तियां- 34-58 प्रबन्ध-पौराणिक-चरित-रासा-रूपक-अध्यात्म-भक्ति मूलक-चूनही फागू-लिफा-बारहमासा विवाहलो संख्यात्मक-गीति-प्रकीर्णक काव्य. 4. चतुर्ष परिवर्त-रहस्य भावनाः एक विश्लेषण रहस्यः अर्थ और परिभाषा, प्रमुख तत्त्व, साध्य-साधन और साधक, अध्यात्मवाद और दर्शन, रहस्यवाद और अध्यात्मवाद, प्रकार, परम्परा, जैन और जैनेतर रहस्य भावना. पञ्नम परिवर्त-रहस्य भावना के बाधक तत्व 90-129 विषय वासना, शारीरिक ममत्व, कर्मजाल, मिथ्यात्व, कषाय, मोह, बाह्याडम्बर, मन की चंचलता. षष्ठ परिवर्त-रहस्य भावना के साधक तत्त्व 130-166 सद्गुरु, नरभवदुर्लभता, प्रात्मसबोधन, प्रात्मचिंतन, मात्मा-परमात्मा, मात्मा और पुद्गल, चित्तशुद्धि, भेदविज्ञान, रत्नत्रय. सप्तम परिवर्त-रहस्य भावनात्मक प्रवृत्तियाँ- 167-209 प्रपत्त भावना, नवधा भक्ति, सहजयोग साधना और समरसता, भावमूलकरहस्य भावना, प्राध्यात्मिक प्रेम और विवाह, माध्यात्मिक होली. पष्टम परिवर्त-रहस्य भावनात्मक प्रवृत्तियों का तुलनात्मक अध्ययन 210-288 बाधक तत्त्व, साधक तत्त्व, भावमूलक रहस्य भावना, अनुभव, निगुण-सगुण रहस्य भावना सौर जैन रहस्य भावना, मध्यकालीन जैन रहस्य-भावना और माधुनिक रहस्यवाद. परिशिष्ट-(i) कविवर पानतराय, 289-320 (ii) अध्ययनगत मध्यकालीन कतिपय न कवि, (iii) सहायक ग्रन्य-सूची

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