Book Title: Lokprakash Part 02 Author(s): Padmachandrasuri Publisher: Nirgranth Sahitya Prakashan SanghPage 29
________________ (xxvii) श्लोक सं० - - - | क्र० विषय श्लोक | क्र. विषय सं० सं० | सं० ७४ इसकी उत्पत्ति और च्यवन का २०१६७ पहले प्रतर के नरक आवासों - २४३ अन्तर | की संख्या ७५ चौथी 'अंजना' नरक का वर्णन २०२८ दूसरे से पाँचवे प्रतर के नरका- २४४ ७६ इसके वलय के वष्कंभ आदि २०३ वासों की संख्या ... ७७ इसकी ऊँचाई, प्रतर-संख्या तथा २०५६ सर्व पंक्तिगत तथा पुष्पावकीर्णक २४६ अन्तर नरकावासों की संख्या - ७८ सात प्रतरों के नरकेन्द्रों के नाम १०० इनकी वेदना की तारतम्यता. २४८ ७६ प्रथम प्रतर के हर एक दिशा के १०१ इनका प्रतर प्रमाण से देहमान : २४६ नरक आवास १०२ उनका प्रतर प्रमाण से आयुष्य २५२ ८० दूसरे से सात प्रतरों तक नरकवासों १७३. इनकी लेश्या तथा उसकी स्थिति २५८ की संख्या १०४ इनके अवधि ज्ञान का क्षेत्र २६० ८१ सर्व में पंक्तिगत नरकावासों की २१२/१०५ इनकी.च्यवन-उत्पत्ति का अन्तर २६१ संख्या |१०६ छठी "पघा" नाम की नरक २६२ ८२ सर्व में पुष्पावकीर्णक की संख्या २१४ का वर्णन ८३ सव मे नरकावासा का सख्या २१५/१०७ उनके वलय के विष्कंभ २६३ ८४ इन नरकावासों की परस्पर की २१६ १०८ अलोक से दूरी २६५ गई वेदना के सम्बंध में | १०६ इसकी ऊँचाई तथा उनमें अन्तर २६६ . ८५ प्रतरों में ऊष्ण-शीत वेदना २१८ | ११० तीन प्रतरों के नरकेन्द्रों के नाम २६८ ८६ मतान्तर से परमाधामी कृत वेदना पाठ १११ उसमें प्रथम पंक्ति के नरकावासों २६६ ८७ सातों प्रतरों के नारकों के देहमान २२१ की संख्या ८८ उनके प्रतर प्रमाण में आयु स्थिति २२५ ८६ उनकी लेश्या तथा अवधि ज्ञान २३२ | ११२ दूसरे तथा तीसरे प्रतर के नरक २७० आवासों की संख्या क्षेत्र ६० उनकी उत्पत्ति-च्यवन का अन्तर २३३ | |११३ पंक्तिगत तथा पुष्पावकीर्ण २७२ ६१ पाँचवा"रिष्टा" नाम की नरक नरकावासों की संख्या का वर्णन ११४ वेदना के प्रकार ६२ उसके वलय के विष्कंभ | ११५ इन नारकों का प्रतर प्रमाण से २७६ ६३ उनकी उँचाई देहमान , ६४ पाँचों प्रतरों के स्थान नाम २४१ ११६ उनकी प्रतर प्रमाण से आयुष्य. २७७ ६५ पाँचों प्रतरों के नरकेन्द्रों के नाम २४१ स्थिति ६६ उसमें से निकली पंक्तियों के २४२ | ११७ उनका अवधि ज्ञान का क्षेत्र २८१ विषय ११८ उनके च्यवन-उत्पत्ति के अन्तर २८२ २७३ २३५ २३८Page Navigation
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