Book Title: Lok Prakash Part 02
Author(s): Vinayvijay, Shravak Hiralal Hansraj
Publisher: Shravak Hiralal Hansraj

View full book text
Previous | Next

Page 9
________________ ॥ श्रीजिनाय नमः ॥ ॥ श्रीचारित्रविजयगुरुभ्यो नमः ॥ ॥ अथ श्रीक्षेत्रलोकप्रकाशः प्रारभ्यते । (गुर्जरनाषांतरोपेतः) ॥ द्वितीयः परिजेदः ॥ ( मूलकर्ता-उपाध्यायजी श्रीविनयविजयजी) भाषांतरकर्ता तथा उपावी प्रसिद्ध करनार पंडित श्रावक हीरालाल हंसराज. जामनगरवाला. ॥ अथैकोनविंशः सर्गः प्रारम्यते ॥ अथो महाविदेहाना-मुदक्सीमाविधायकः ।। धरो श्रीशांतिनाथस्य नवाननेंदु- याऊनानां प्रमदाब्धिवृ. ध्यै ॥ यत्रोदिते वै परतीर्थनाथ स्तेनानिलाषाः प्रययुर्वि नाशं ॥ १ ॥ सत्यासत्योरुग्धोदककलविधिविधंसराजा. मजेन । हीरालालेन नत्या म्वपरहितकृते गुर्जराख्योरु. वाचा॥ अर्थो मुग्धप्रबोधप्रकटनसबलो गुंफ्यते न्याययुक्त्या । ग्रंथस्यास्येढ चारित्रविजयगुरुतः सुप्रसादान्मनोज्ञः ॥शा ॥ हवे नगणीशमा सर्गनो प्रारंन थाय . ॥ हवे महाविदेहनी नत्तरसीमा करनारो वैर्यमणि

Loading...

Page Navigation
1 ... 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 ... 536