Book Title: Lok Prakash Part 02
Author(s): Vinayvijay, Shravak Hiralal Hansraj
Publisher: Shravak Hiralal Hansraj

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Page 11
________________ शोभितोऽजितः ॥ ब्रह्मवतश्रुतस्कंध । श्व गुप्तिनिरूपणैः ॥ ६ ॥ तत्र सिघायतनाख्यं । समुद्रासनमादिमं ॥ द्वितीयं नीलवत्कूटं । नीलवत्पर्वतेशितुः ॥७॥ ततः पूर्व विदे. हेश-सुपर्वैश्वर्यशालितं ॥ कूटं पूर्व विदेहाख्यं । तृतीयं परिकीर्तितं ॥ ७ ॥ शीताकूटं तुरीयं च । शीतानदीसुरी श्रितं ।। नारीकांत पंचमं त-नारीकांतासुरी श्रितं ॥४॥ केसरिहदवासिन्याः। कीर्तिदेव्या निकेतनं ॥ षष्टं स्पष्टं जिनप्रष्टैः । कीर्तिकूटं प्रकीर्तितं ॥ १० ॥ तथापरविदेहा. व्रतश्रुतस्कंध तेम था पर्वत तेजस्वी कांतिवाळा नव शिखरोवडे चारेबाजुथी शोजितो थयेलो . ॥ ६ ॥ ते. नमा पहेधुं समुद्रनी नजीक सिघायतन नामनुं शिखर बे, घने बीजं ते पर्वतना नीलवान नामना स्वामीनु नी. लवान नामनुं शिखर . ॥ ७॥ पजी पूर्व विदेहना स्वामीदेवनी ऋघियी मनोहर थयेळू पूर्व विदेह नामर्नु त्रीजु शिखर कहेवू . ॥ ॥ शीतानदीनी देवीथी था. श्रित थयेवु चोथु शीताकूट नाम, शिखर ने, तथा ना. रीकांता नामनी देवीथी आश्रित थयेवू पांचमुं नारीकांत नामनुं शिखर ने. ॥ ए ॥ केसरिहदमा रहेनारी की. र्तिदेवीना स्थानरूप जिनेश्वरोए स्पष्टरीते तुं कीर्तिकूट

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