Book Title: Letters to Vijayendrasuri
Author(s): Kashinath Sarak
Publisher: Yashodharma Mandir

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Page 215
________________ 190 (३) 56/58, Walkeshwar Road, Malbar Hill, Bombay. ७ ओगस्ट १९२१ श्रीयुत उपाध्याय महाराज महोदय ! ___आपका पत्र मिला । तोभि आगे सरकरके काम के लिये ना लिख सकनेकी क्षमा कीजियो। मैं अभि मेरा लेक्चर बनाता हुं । और अठवारे को उसको तयार करने का भरोसा करता हुं। मैं २० ओगस्ट को धूलिये में आया चाहता हुं । प्रोफेसर कापडियेने मेरे साथ आने का वादा किया। मेरी बीबी मेरे साथ नहीं आएगी। हम् षुकरवार रातको बंबाई से जाएंगे । और षनीवार सुबह धूलिये में आएंगे । और रविवार रातको फिर जाएंगे । निश्चय करके मैं तीन वा चार दिन हमारे आनेके आगे दूसरा पत्र आपको लिखुंगा। ___ मैं दशवकालिक सूत्र का दान करनेके और दूसरी पुस्तकें मुझको मिलानेके लिये आपको बहुत शुक्र करता हुं । उन दूसरी पुस्तकों के लिये आपने लिखा कि "दाम भावनगर भेजवा देने" परंतु किसको भेजवा देना आपने नहीं लिखा । प्रोफेसर कापडिया बोला कि दाम यशोविजय जैन ग्रन्थमालाके मनजर को भेजवादेना है । तो यह सहीह होना ना समझकर मैं आप से पूछता हुं । और कृपा करके जवाब दीजियो।। उस कनकसबाईकृती " Tamil 1800 years ago" पुस्तक के लिये दक्षिणदेश में आपके लिखने के वास्ते मैं आपको बहुत शुक्र करता हूं। और एक प्रश्न मैं आपसे पूछंगा । किधर एक हिंदू पञ्चङ्ग (almanach containing hindu months) मोल लेना है ? कैसा मौसम अभि धूलिये में है ? वहुत बरसता है ? वा बहुत गरमी है ? Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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