Book Title: Laghu Kshetra Samas Prakaranam
Author(s): Ratnashekharsuri
Publisher: Jain Dharm Prasarak Sabha

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Page 183
________________ (६) पणखित्तमहणईओ, सदारदिसि दहविसुद्धगिरिअद्धं । गंतूण सजिब्भीहिं, णिअणिअकुंडेसु णिवडंति॥५८॥ णिअजिभिअपिहुलत्ता, पणवीसंसेण मुत्तु मज्झगिरिं । जाममुहा पुवुदहिं, इअरा अवरोअहिमुर्विति ॥ ५९॥ हेमवइ रोहिअंसा, रोहिआ गंगदुगुणपरिवारा । एरण्णवए सुवण्ण-रुप्पकूलाओ ताण समा ॥ ६० ॥ हरिवासे हरिकंता, हरिसलिला गंगचउगुणणईआ। एसि समा रम्मयए, णरकंता णारिकंता य ॥ ६१॥ सीओआ सीआओ, महाविदेहम्मि तासु पत्तेयं । णिवडइ पणलक्ख दुती-ससहस अडतीस णइसलिलं ॥६२॥ कुरुणइ चुलसीसहसा, छच्चेवंतरणईउ पइविजयं । दो दो महाणईओ, चउदसहस्सा उ पत्तेयं ॥ ६३ ॥ अडसयरि महणईओ, बारस अंतरणईउ सेसाओ। परिअरणई चउद्दस, लक्खा छप्पण्ण सहसा य ॥ ६४ ॥ एगारडणवकूडा, कुलगिरिजुअलत्तिगे वि पत्तेअं। इइ छप्पण्ण चउ चउ, वक्खारेसु त्ति चउसट्ठी॥ ६५ ॥ सोमणसगंधमाइणि, सग सग विज्जुप्पभिमालवंति पुणो। अट्ठट्ठ सयल तीसं, अड गंदणि अट्ठ करिकूडा ॥ ६६ ॥ इअपणसयउच्च छासहि-सउ(य) कूडा तेसुदीहरगिरीणं। पुव्वणइ मेरुदिसि, अंतसिद्धकूडेसु जिणभवणा ॥ ६७ ॥ ते सिरिगिहाओ दोसय-गुणप्पमाणा तहेव तिदुवारा । णवरं अडवीसाहिअ-सयगुणदारप्पमाणमिहं ॥ ६८ ॥ पणवीसं कोससयं,समचउरसवित्थडा दुगुणमुच्चा । पासाया कूडेसु, पणसयउच्चेसु सेसेसु ॥६९॥

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