Book Title: Kuvalayamala Part 2 Author(s): Bhuvanbhanusuri Publisher: Divya Darshan Trust View full book textPage 4
________________ प्रकाशकीय निवेदन वर्तमान युग में इन्सान हर क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए तत्पर बनता जा रहा है। परन्तु अफसोस की बात यह है कि विविध क्षेत्रों में आगे बढ़ने की धून में वह आध्यात्मिक क्षेत्र में पिछड़ता जा रहा है। टी. वी., वीडियो, ब्ल्यू फिल्म्स व बाह्यलक्षी साहित्य के द्वारा वह अपनी आत्मा से दूर होता जा रहा है। अब तो आवश्यकता है कि वर्तमान पीढ़ी तक ऐसा संस्कारवर्धक स्वस्थ साहित्य पहुंचाया जाय, जो उनमें सदाचार व सुसंस्कारों का दीप ज्वलंत बनाये रखे । इसी उद्देश्य से हमने वर्धमानतपोनिधि परम पूज्य आचार्यदेव श्री भुवनभानुसूरीश्वरजी म. सा. की प्रेरणा व मार्गदर्शन से उन्हीं की पावन निश्रा में सं. २०४७ में इस ट्रस्ट की स्थापना की थी। इस ट्रस्ट का यह द्वितीय प्रकाशन स्व. पूज्यपाद आचार्यदेव श्री भुवनभानुसूरीश्वरजी म. सा. द्वारा लिखित गुजराती पुस्तक 'कुवलयमाला' का हिन्दी अनुवाद आपके करकमलों में समर्पित करते हुए हम गौरव का अनुभव कर रहे हैं। सिद्धांत दिवाकर, गच्छाधिपति परम पूज्य आचार्यदेव श्री जयघोषसूरीश्वरजी म. सा. व प. पू. पंन्यासप्रवर श्री पद्मसेनविजयजी म. सा. ने हमें इस पुस्तक के प्रकाशन का लाभ दिया. अतः हम स्वयं को सौभाग्यशाली मानते हैं। न्यायविशारद - परमाराध्यपाद पूज्य आचार्यदेव श्री भुवनभानुसूरीश्वरजी म. सा. की यह अनमोल कृति हिन्दीभाषी पाठकों के हृदय को अवश्य छूएगी, इसी आशा के साथ... ट्रस्टीगण श्री लक्ष्मीचंदजी कोठारी श्री उत्तम्रचंदजी भंडारी श्री एस. कपूरचन्दजी श्री के. एम. गादिया श्री बाबुलालजी पारेख Jain Education International निवेदक... ट्रस्टीगण अनन्त - संस्कारनिधि फाउंडेशन, बेंगलोर For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 ... 226