Book Title: Kuvalayamala Katha Sankshep Author(s): Udyotansuri, Ratnaprabhvijay Publisher: Singhi Jain Shastra Shiksha Pith Mumbai View full book textPage 3
________________ *AXXX XXXX AX AX AX AX AX AX AX AX AX AX AX AX AX2RXARXAX RURXRXAXRXAXARXA प्रकाशकीय NEEEEEEEEE जिनशासनना महानज्योतिर्धर, सुविशाल सुविहित- मुनिगण गच्छाधिपति, संघस्थविर, संघसन्मार्गदर्शक, संघपरमहितैषी, व्याख्यानवाचस्पति, स्व. पूज्यपाद आचार्यदेव श्रीमद् विजयरामचन्द्रसूरीश्वरजी महाराजानह शुभ आशीर्वादथी सिंहगर्जनाना स्वामी, स्व. पूज्यपाद आचार्यदेव श्रीमद् विजयमुक्तिचन्द्रसूरीश्वरजी महाराजाना पट्टालंकार, शासनप्रभावक पूज्यपाद आचार्यदेव श्रीमद् विजयजयकुंजरसूरीश्वरजी महाराजा तथा तेओना विद्वान शिष्यरत्नो समर्थसाहित्यकार पू. आचार्यदेव श्रीमद् विजयपूर्णचन्द्रसूरीश्वरजी महाराज तथा समर्थप्रवचनकार पू. आचार्यदेव श्रीमद् विजयमुक्तिप्रभसूरीश्-रजी महाराज आदि ठाणा- वि.सं. २०४७ नुं चातुर्मास शा. केशवलाल पुनमचंद परिवार उंबरीवाला तरफथी सिद्धगिरि महातीर्थे महाराष्ट्रभुवनमां खूब ज जाहोजलाली पूर्वक थयु. आ प्रभावक चातुर्मासमा ३१० आराधको तथा चातुर्मास दरम्यान उंबरीवाला शा. केशवलाल पुनमचंद परिवार आयोजित उपधानतपमा ३४८ आराधको जोडायेल. चातुर्मासमा अनेकविध तपना अनुष्ठानो पूर्वक पर्वाधिराजनी भव्यातिभव्य आराधना थवा पामी हती, तेमज पू. परमगुरुदेव आचार्य भगवंत श्रीमद् विजयरामचन्द्रसूरीश्वरजी महाराजाना संयम-जीवननी अनुमोदनार्थे ३९ छोडना उद्या सहित भव्य महोत्सव उजवायेल. आराधना-प्रभावनाथी चिर-स्मरणीय बनी रहे, एवा आ चातुर्मासमा थयेल ज्ञानद्रव्यनी उपजमांथी तेओना सौजन्यपूर्वक आ ग्रंथर्नु, सिंधी ग्रंथमाला तरफथी पूर्वे प्रकाशित पुनः प्रकाशन करता श्री सिद्धगिरि चार्तुमास उपधानतप आराधक समिति अतिशय आनंद अनुभवे छे. - श्री सिद्धगिरि चातुर्मास उपधानतप आराधक समिति महाराष्ट्रभुवन, पालिताणा. &ReKGRESURANUSASARAS/ARKESARSUSASUNamasuxxesxesasusaRASIRSASARAS48888888 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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