Book Title: Kavyanushasanam
Author(s): Hemchandracharya, T S Nandi, Jitendra B Shah
Publisher: L D Indology Ahmedabad

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Page 511
________________ ३७२ अहो गीतमहो १९१।१२०।२३।३ [ नागानन्द १ (पृ. १० ) ] अहो महेश्वरस्यास्य ४८ | ३६ | १५ | १ अहो विडम्बयत्येषा ६२५/२९४/५/६ अहो विशालं ६०७/२८६|२८|६ [काव्यादर्श २.२१९] अहो संसार० ५६२/२७०।२६।६ आक्षिपन्त्यरविन्दानि ६६९/३१०।१।६ आज्ञा शक्रशिखा ८।१४/२०११ [काव्यादर्श २.३६१] [ बालरामायण १.३६] आत्मनश्च परेषां ४८६।२४०।२३।५ आदाय कर्ण० ६३६/२९८१९/६ आदाय वारि ५६६।२७२/१९/६ · [औचित्यविचारचर्चायां (पृ. १३९) भट्टेन्दुराजस्य ] आदावञ्जनपुञ्ज० २०३।१३०।१५।३ आदित्योऽयं ७९।४८।२१।१ [महाभारत शा.प.अ. १५२ श्लो. ११ (अ) १२ (अ)] आननेनाकलङ्केन ६२४।२९४|३|६ Jain Education International आनन्दममन्द० ६०३।२८६|१२|६ [रुद्रट ९.४७ ] आपृष्टासि व्यथयति १६३।१०४।२४।२ आयस्ता कलहं ७०९ | ३३०|८|७ [ अमरु० १०६ ] आयाते दयिते १३७/९२।३।२ [सुभाषितावल्यां (२०७५)] आलोकमार्ग १३२।८८२०१२ आलोमलकावली ७४१।३४१।८।७ [अमरु० ३] आवर्जिता किंचिदिव ५३७/२६२/१२/६ [कुमार० ३.५४] आशु लङ्घितवती ३१२।१७०।२।३ [ शिशुपाल० १०.६४ ] आश्लिष्टभूमिं १५० | ९८ १६ २ [काव्यानुशासनम् [शिशुपाल० ३.७२] [सप्तशतक ९५८] आसाइयं १६।२४|४|१ आहूतस्याभिषेकाय ६८७।३१८/१७७७ आहूतेषु विहंग० २३ २११४०|८|३ [भल्लट० ६९ ] इतः स दैत्यः ५३|३८|६| १ [ कुमार० २.५५] इतो वसति केशव: ५६९/२७४|१४|६ [नीतिशतक ६७ ] इदं ते केनोक्तं ४०६/२००|१०|३ इन्द्रस्त्वं तव बाहू ५४४ / २६४ / २६/६ [ रुद्रट ८.५५ ] इयं गेहे लक्ष्मी ६९०१३२०/२/७ [ उत्तरराम १.३८] ईषन्मीलित० ७३४।३४४।१८।७ उच्चिसु २० | २४|२७/१ [ सप्तशतक ९५९] उत्कण्ठा परितापो ६४४ | ३००|२१|६ [ रुद्रट ७.५५ ] उत्कम्पिनी भय० ८९/५०/५/१ [तापसवत्सराज २.१६] उत्कृत्योत्कृत्य कृत्तिं ११५।७४।१२।२ [मालतीमाधव ५.१६] उत्कृत्योत्कृत्य गर्भानपि १३९।९२।१६।२ [महावीर० २.४८ ] उत्तानोच्छून० ३०६ । १६६।२३।३ उत्तालताडको ० ६८१।३१६।१२।७ [महावीर १.३७] उत्तिष्ठन्त्या रतान्ते ७४०।३४८।२।७ [वेणी० १.३] उत्पत्तिर्जमदग्नितः ६९०/३२०/२/७ [महावीर ० २.३६ ] [ नागानन्द १.१३] For Private & Personal Use Only उत्फुल्लकमल० २६८।१५२।२३।३ www.jainelibrary.org

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