Book Title: Kavyanushasanam
Author(s): Hemchandracharya, T S Nandi, Jitendra B Shah
Publisher: L D Indology Ahmedabad
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३८० निःश्वासा वदनं ७१८।३३४।२।७
- [अमरु० ९२] निष्कन्दामरविन्दिनी ५६८।२७४।७॥१ निहुअरमणम्मि १८८।११८।२३।३ नीलेन्दीवर ६४३।३००।१३।६ नेत्ररिवोत्पलैः ५०५।२५२।७६
[उद्भट १.१९] नेयं विरौति ६३३।२९६।१७।६
[भामह ३.२२] न्यञ्चत्कुञ्चित० १२।१६।२२।१
[बालरामायण २.१९] पङ्क्तौ विशन्तु १७९।११२।१२।२
[भल्लटशतक ११] पणयकुविआण १०५।६६।२।२
[सप्तशतक २७, गाथा २७] पतिते पतङ्गमृगराजि ३१३।१७०।७।३
शिशुपाल० ९.१८] पत्तनिअम्ब० २४५।१४४।१८।३
[सप्तशतक ५५६; गाथा०६.५५] पत्युः शिरश्चन्द्रकलाम् ७३६।३४६।७७
[कुमार०७.१९] पदद्वयं कपालिनः ४६६।२२८।२६।५ पंथिअ न एत्थ ५९।४०।१२।१
[सप्तशतक ८७९] पयोधरभराक्रान्ते ४७५।२३६।४।५ परागतरुराजीव ४६४।२२८।२०१५
. [काव्यादर्श ३.२७] परापकारनिरतैर् २५८।१५०।२।३ परिपन्थिमनोराज्यशतैर् ५१८।२५६८।६
[काव्यानुशासनम् परिस्फुरन्मीनविधट्टितोरवः १४९।९८।१०।२
[किरात० ८.४५] परिहरति रतिं १९९।१२४।२६।३ पर्याणस्खलितस्फिजः ६१४।२९०।५।६ पर्याप्तपुष्पस्तबक० १५८।१०४।२।२
[कुमार० ३.३९] पश्चात्पर्यस्य ८३।९६।२०१२
[काव्यादर्श २.२५७] पश्यामि ताम् ५७७।२७८।६।६, १४७।९६।२०।२
[मालतीमाधव १.४०] पश्याम्यनङ्ग० ३२३।१७४।३।३
काव्यादर्श ३.१४२] पाणौ कङ्कणम् १०९।७०।२।२
[शृङ्गारतिलक ३.२-३] पाण्ड्योऽयमंसार्पित० ४००।१९८।१३।३
रघु० ६.६०] पातयाशु रथं ४५२।२२४।२०।५ पातालमिव ३३०।१७६।४।३ पातु वो भगवान् ४६५।२२८।२३।५
काव्यादर्श ३.२८] पायात् स शीतकिरणाभरणो ३८९।१९६।१२।३ पितृवसतिमई ३०४।१६६।११।३ पुत्रक्षयेन्धन० ७३।४६।१५।१ पुराणि यस्यां ५७८।२७८।१०।६
[नवसाहसाङ्क० १.२२] पुंस्त्वादपि प्रविचलेद् ५६७।२७२।२६।६
[भल्लट० ७९] पूर्णेन्दुकल्पवदना ५१५।३५४।२२।६ पृथुकार्तस्वरपात्रं ३२५।१७४।१४।३ पेशलमपि खल० ५९२।२८२।२३।६
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