Book Title: Kavyanushasanam
Author(s): Hemchandracharya, T S Nandi, Jitendra B Shah
Publisher: L D Indology Ahmedabad
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परिशिष्ट-१
यदुवाच न तन्मिथ्या ३५४।१८४।१२।३
[रघु० १७.४२] यद्वच्चनाहितमतिर् २३४।१४०।१९।३
[सुभाषितावलौ (२७१) भगवत्तरारोग्यस्य] यद्विश्रम्य विलोकितेषु ९४।५८।२।२ यशोऽधिगन्तुं २६५।१५२।८।३
[किरात० ३.४०] यस्य न सविधे ४४४।२२२।१०।५ यस्य प्रकोपशिखिना ३६०।१८६।१४।३ यस्या वीजम् ५४३।२६४।२०१६ यस्यावर्जयतो ६२०१२९२।१२।६ याते द्वारवती १०७६६।१४।२ या दमानवमानन्द ४७३।२३४।१३।५
देवीशतक १५] या निशा सर्वभूतानां ६७/४२।२५।१
[म.भा. भीष्मपर्व, गीता २.६९] याम इव याति ५२३।२५८।६।६ यावदर्थपदां ३१६।१७०।२३।३
शिशुपाल० २.१३] येन ध्वस्तमनोभवेन २९६।१६४।२।३
[सुभाषितावलौ [४४]] ये नाम केचिदिह ३५८।१८६।३।३ .
मालतीमाधव १.८] ये यान्त्यभ्युदये ५६३।२७२।२।६ येषां तास्त्रिदशेभ० २७८।१५८।२।३ यैः शान्तरागरुचिभिः ९६।६०७।२
[भक्तामर० १२] यो बलौ व्याप्तभूसीग्नि ६३७।२९८।१२।६ योऽविकल्पम् ३६१।१८६।२१।३ योषितामतितरां २०५।१३२॥२॥३
शिशुपाल० १०.९०
३८३ रइकेलिहिय० ९२१५४।१०।१
[सप्तशतक ४५५, गाथा० ५.५५] रक्तस्त्वं ७।१४।१३।१ हनुमन्नाटक ५.४] रक्ताशोककृशोदरी ३४११७८।२७।३
[विक्रमोर्वशीयम् ४.३०-३१] रघुर्भृशं वक्षसि ६११।२८८।१९।६ [रघु० ३.६१] रतिक्रीडाद्यूत ७३२।३४४।३।७
[धनिकस्य दशरूपकावलोके प्र.२ सू. ३९] रथस्थमालोक्य ६२६।२९४।११६ रविसंक्रान्तसौभाग्य: ६६।४२।१९।१
[रामायण २.१६.१३] राजीवमिव ते ५११४२५४।६।६ राज्ये सारं वसुधा ६५७।३०४।२८।६
[रुद्रट ७.९७] राम इव दशरथो ५५७।२७०।३।६ राममन्मथशरेण १९८।१२४।१९।३
- [रघु० ११.२०] रुधिरविसर० ६११४०।२३।१ लग्नं रागावृताङ्गया २४२।१४४।२।३
[सुभाषितावलौ (२५९५) हर्षदत्तस्य] ललना सरोरुहिण्यः ५४५।२६४।२९।६
[रुद्रट ८.४३] लाक्षागृहानल० १४८।९८।२।२
वेणी० १.८] लाक्षालक्ष्म ६९३।३२२।१७।७
[अमरु० ६०] लिखन्नास्ते ८४/५०।२२।१
[अमरु० ७] लिम्पतीव तमो० ६६४।३०८।७।६
[बालचरित १.१५; मृच्छकटिक १.३४]
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