Book Title: Kavyanushasanam
Author(s): Hemchandracharya, T S Nandi, Jitendra B Shah
Publisher: L D Indology Ahmedabad

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Page 515
________________ ३७६ चतुरसखीजन० ३३१।१७६।९।३ चंदमऊएहिं ५५५।२६८।२१।६ चन्द्रं गता पद्मगुणान् ३७९।१९४।२।३. [कुमार० १.४३] चन्द्रमिव सुन्दरं २८२।१५८।२३।३ चम्पककलिकाकोमल ४९४।२४४।२४।५ [रुद्रट ४.१९] चलति कथंचित् १३६।९०।२२।२ धनिकस्य, दशरूपकावलोके (प्र.४ सू.२७)] चलापाङ्गां दृष्टिं २।१२।५।१ शाकुन्तल १.२०] चापाचार्यस्त्रिपुरविजयी ३१०।१६८।१५।३ [बालरामायण २.३७] चारुता वपुरभूषयद् २७०।१५४।३।३ [शिशुपाल० १०.३३] चित्रं चित्रं बत ६४६।२०२।२।६ चित्रभानुर् ४९।३६।१७१ चिरकालपरिप्राप्ति० ३६७।१८८।२२।३ चूअंकुरावयंसं ७४।४६।२३।१ छायामपास्य ३१७/१७०।२७।३, ३८८।१९६।९।३ शिशुपाल० ५.१४] जङ्घाकाण्डोरुनालो ३०९।१६८।१०।३ जं जं असिक्खि ६५९।३०६।५।६ जनस्थाने भ्रान्तं १७४।११०।८।२ कविकण्ठाभरणे-भट्टवाचस्पतेः] जयति क्षुण्णतिमिरः २३६।१४२।९।३; ४४०।२२०।२११५ जय मदनगजदमन ४६७।२३०।१६।५ जस्स रणंतेउरए ५४२।२६४।१४।६ जं जं करेसि ७२७।३४०।२४/७ सप्तशतक ३७८; गाथासप्तशती ४.७८] [काव्यानुशासनम् जं भणह तं ६६१।३०६।१४।६ [सप्तशतक ८९७] जितेन्द्रियत्वं २३६।१४२।९।३ [सुभाषितावलौ (२९१७) भारवेः] जीविताशा १८।२४।१५।१ [काव्यादर्श २.१३९] जुगोपात्मानमत्रस्तो ३५०।१८२।१०।३ रघु० १.२१] जो तीऍ अहर० ६३५।२९८।३।६ [सप्तशतक १०६, गाथासप्तशती २.६] ज्याबन्धनिष्पन्द० ३९८।१९८।११।३ रघु० ६.४०] ज्योत्स्ना मौक्तिकदाम ५८४।२८०।१३।६ ज्योत्स्ना लिम्पति २४८।१४६।१०।३ ज्योत्स्नेव नयनानन्दः ५२२।२५८।२।६ ज्योत्स्नेव हास्यद्युति० ६७४।३१०।२४।६ ज्वलतु गगने ७४३।२४८।२२।७ . [मालतीमाधव २.२] ढुंढुल्लिंतु मरीहसि ५०९।२५२।२७६ ____५१७।२५६।५।६ णहमुहपसाहिअंगो २४।२६।२०११ [सप्तशतक ९३७] णोल्लेइ अणोल्लमणा ३१।३०।२४।१ [सप्तशतक ८७५] ततोऽरुणपरिस्पन्द० ४३४।२१८।११।५ [सुभाषितावलौ (२१५३) भगवद्वाल्मीकिमुनेः] तथाभूतां दृष्ट्वा २८।३०।३।१ वेणी० १.११] तथाभूदस्माकं ७१०।३३०।१४।७ [अमरु० ६९] Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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