Book Title: Kavyamala
Author(s): Durgaprasad Pandit, Kashinath Pandurang Parab
Publisher: Nirnaysagar Press
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________________ काव्यमाला। शस्त्राशस्त्रि प्रसह्याथ प्रवृत्ते रणवैशसे / अजीवकमरोगं वा पुरमेतद्भविष्यति // 79 // तदेहि / तत्क्षमां भूमिमेव गच्छामः / (इति पाण्डुना सह निष्क्रान्तः / ) काल:-कर्मन् , पश्य पश्य विपक्षविजयाय विज्ञानमन्त्रिप्रयुक्तान्भटान् / राजा-वयस्य, मन्त्रिणा दर्शितेन विक्रमव्यापारेण हृदयं मम निवृणोति / यतः / भूपतिरससिन्दूरज्वराङ्कुशानन्दभैरवैः साकम् / चिन्तामणिश्च शत्रूनराजमृगाङ्कश्च जेतुमुद्युते // 80 // .. पश्य चात्रारोग्यचिन्तामणेरुत्तरेण / कृतसिद्धरसेश्वरः पुरस्तात्करमालम्ब्य च वातराक्षसस्य / समराङ्गणमेति पूर्णचन्द्रोदय एषोऽग्निकुमारदर्शिताध्वा // 81 // प्रतापलङ्केश्वर एष यश्च प्रतापयत्यत्र निजप्रतापात् / गदान्धनुर्वातमुखानशेषांल्लकेश्वरः शत्रुभिरप्रसह्यः // 82 // वसन्तकुसुमाकरः सरभसं विधत्ते रणं ___ सुवर्णरसभूपतिर्वशयते रुजां मण्डलम् / प्रसह्य वडवानलाभिधमिदं च चूर्ण जवा द्विशोषयति सर्वतः प्रबलमग्निमान्द्यारुचिम् // 83 // सुदर्शनं चक्रमिवामरारीन्सुदर्शनं चूर्णमिदं रणाग्रे / निहन्ति जीर्णज्वरमाशु पित्तजन्या रुनश्चूर्णयति प्रसह्य / / 84 // प्रबलानलसंकुलितं गदगहनं दुरवगाढमन्येन / हन्ति धुरि तीक्ष्णसारो वातकुठारः समूलमुन्मूल्य // 85 // असकृत्स्खलतः किंचिद्गतिमान्धविधायिनः / प्रमेहान्माद्यतो हन्ति मेहकुञ्जरकेसरी // 86 // गतिमन्थरताधायिवर्मवैपुल्यशालिनः / सर्वान्वातगजान्हन्ति वातविध्वंसनो हरिः // 7 //
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