Book Title: Karmwad Author(s): Mahapragna Acharya Publisher: Adarsh Sahitya Sangh View full book textPage 2
________________ अनेकान्त मुझे इसलिए प्रिय है कि वह सत्य की खोज का आलम्बन है, अवरोध नहीं है। आग्रह अवरोध बनता है। कर्म हमारे अतीत का लेखा-जोखा है। इस विषय में एकांतिक दृष्टि और आग्रह पनपे हैं। इसलिए यह महान् सिद्धान्त उपयोगी कम हुआ है, आवरण अधिक बना। अध्यात्म की व्याख्या कर्म सिद्धान्त के बिना नहीं की जा सकती। इसलिए यह एक महान् सिद्धान्त है। इसकी अतल गहराइयों में डुबकी लगाना उस व्यक्ति के लिए अनिवार्य है, जो अध्यात्म के अंतस् की उष्मा का स्पर्श चाहता है।Page Navigation
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