Book Title: Karm Ki Gati Nyari Part 06
Author(s): Arunvijay
Publisher: Jain Shwetambar Tapagaccha Sangh Atmanand Sabha

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Page 38
________________ स्मरण शक्ति से फोटो खींचनाएक सज्जन केमरे को अपने ललाट पर उल्टा रखकर, जिसका लेन्स ललाट पर लगा हो उसके बटन दबाकर भूतकाल में देखे हुए दृश्यों का फोटो खींचकर दिखाता था। वह केमरा "POLIROD" था जिसमें तुरन्त सीधे ही POSITIVE COPY बाहर निकलती थी, और वह उसे उपस्थित लोगों के हाथों में दे देता था। लोग किसी भी दृश्य का फोटो निकालने के लिये उसे कहते थे, परन्तु उसकी एक शर्त थी कि वह दृश्य उसका देखा हुआ होना चाहिए । एक बार लोगों ने उसे कहा कि इण्डिया के BOMBAY AIR PORT का फोटो निकाल के बताओ । एक ही मिनट में उसने कमरे को अपने ललाट पर लगाया । आँख बन्द कर उसने उस दृश्य को याद किया और जल्दी से फोटो निकालकर लोगों के हाथ में दे दिया। उस फोटो में विमान इधर-उधर खड़े थे, और SANTACRUZE AIR PORT-INDIA का बोर्ड लगा हुआ था। इस प्रकार उसने कई आश्चर्य करके दिखाये । इसमें देखे हुए दृश्य को स्मृति पटल पर लाकर उसके छायाचित्र को निकाला जाता था। इस प्रकार देखे हुए दृश्यों की एकाग्रता को स्मृति पटल पर लोना, और उसे छायाचित्र के रूप में बाहर दिखाना, ऐसे आश्चर्यकारी कार्य का होना आत्मा की एवं इन्द्रियों की शक्ति का अच्छा प्रमाण है। ऐसे कई प्रोग वेज्ञानिक जगत में E S.P. के क्षेत्र में हुए हैं । दर्शनावरणीय कर्म निवारण पूजा की ढाल पूज्य वीरविजयजी महाराज ने चौसठ प्रकारी पूजा लिखी है जिसमें ८ कर्मों के विषय में ८ भिन्न-भिन्न पूजा की ढालें बनाई है। एक-एक पूजा में ८-८ ढालें हैं अतः उसे चौसठ प्रकारी पूजा कहते हैं। दूसरे क्रम पर दर्शनावरणीय कर्म की पूजा ढाल में उन्होंने दर्शन एवं दर्शनावरणीय कर्म के स्वरूप को बताते हुआ लिखा है कि ए आवरणबले करी, न ला दर्शन नाथ । नैगम दर्शने भटकीयो, पाणी वलोव्यु हाथ ।। पूरण दर्शन पामवा, भजिए भवि भगवंत । दूर करे आवरणने, जिम जलथी जलकांत ॥ हे भगवंत ! आत्मदर्शनगुण का आवरण करने वाले दर्शनावरणीयकर्म के कारण मैं आपका दर्शन नहीं कर सका। अर्थात् आपका दर्शन (शासन) नहीं पा ३६ कर्म की गति न्यारी

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