Book Title: Karm Ki Gati Nyari Part 06
Author(s): Arunvijay
Publisher: Jain Shwetambar Tapagaccha Sangh Atmanand Sabha

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Page 53
________________ (४) कुम्हार का दृष्टांत भूतकाल की बात है । एक गांव का कुम्हार एक बार साधुओं के बड़े समुदाय में दीक्षा लेकर साधु बना । काफी समय बाद एक रात्रि को उसके पूर्वोपार्जित थीद्धिनिद्रा नामक दर्शनावरणीय कर्म का बड़ा भारी उदय हुआ जिससे वह मध्य रात्रि को उठकर कुम्हारपने के मिट्टी के कड़े पिण्ड तोड़ने के पूर्व संस्कार याद करके बड़ी प्रबल शक्ति से सोए हुए साथी साधुओं के धडाधड मष्तिक फोड़ने लगा, तथा धड और मस्तक अलग-अलग करके ढेर करने लगा । इतने में अन्य कई साधु जान बचाने के लिए भाग गए। सभी ने तथा विशेषकर गुरु ने उस जीव को थीणद्धि निद्रा कर्म वाला जानकर साधु वेश छीनकर उसे निकाल दिया । (४) वट-वृक्ष छेवक - भूतकाल की बात है कि एक साधु विशेष बड़े पात्र लेकर अन्य सभी साथी साधुओं की गोरी (भिक्षा - माधुकरी) लेने के लिए काफी दूर गांव में गए । गोचरी से भरे हुए पात्रों का भार काफ़ी बढ़ चुका था । तेज धूप की मध्यान्ह में लौटने से पैर जलने आदि तीव्र गरमी के कारण व्याकुल होकर जल्दबाजी में एक वटवृक्ष की छाया के नीचे गए। दुर्भाग्यवश उस घने वटवृक्ष की एक मोटी ज्यादा भार बाली शाखा काफी नीचे झुकी हुई थी । वह जल्दबाजी में आते हुए उन साधु के सिर में लगी । मस्तक पर भारी चोट आई। किसी कदर भिक्षा लेकर उपाश्रय पहुंच गए । दिनभर उसी दृश्य को याद करते हुए क्रोधातुर एवं चिन्ताग्रस्त रहे । क्रोध और चिन्ता में ही सो गए । मध्यरात्रि में थीणद्धि नामक दर्शनावरणीय कर्म के महा भयंकर उदय से उठकर उस वटवृक्ष के नीचे जाकर झुकी हुई उस मोटी शाखा को खींचकर तोड़ डाली, और दूर फेंकने के हेतु से घसीटकर खींचते हुए ले गए, परन्तु वह रास्ता उपाश्रय की तरुफ ही जा रहा था । अतः उपाश्रय के बाहर ही उस शाखा को फैंककर अपने संधारे में आकर सो गए। सुबह उठकर गुरु को कहा कि मुझे आज ऐसा स्वप्न आया है । परन्तु उपाश्रय के बाहर जाते ही गुरु ने टुटी हुई वटवृक्ष की शाखा को देखकर उस साधु को थीणद्धि निद्रा कर्म वाला जानकर साधुवेश छीनकर समुदाय से निकाल दिया । पुत्रवधू का दृष्टांत - षट् मासे निम्रा लहे रे, शेठवधू वृष्टांत । एक सेठ के घर में पुत्र वधू को थीणद्धि निद्रा आती थी। निद्रा के समय वह मध्य रात्रि में उठकर घर में से सोने चाँदी के कर्म की गति न्यारी एक बार थीणद्धि सभी आभूषणों का ५१

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