Book Title: Kamtaprasad Jain Vyaktitva evam Krutitva
Author(s): Shivnarayan Saxena
Publisher: Mulchand Kisandas Kapadia

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Page 119
________________ (१०६) may be succesful in establishing peace on earth peace in every country and peace every home.” [उनकी पवित्र स्मृति हममें अहिंसाकी भावना प्रेरित करे, भनेकान्त, अपरिग्रह तथा मानव धर्मको पालन करनेको भावना पैदा करे, ताकि हम पृथ्वी पर प्रत्येक देशमें, तथा प्रत्येक घरमें शान्ति स्थापित कर सकें] (जैन धर्म और संस्कृति पर विचार ) Reflections on Jains Religion and Culture. सन् १९५३ में पेरिसमें २२ वां स्थायी विश्वधर्म सम्मेलन हुआ जिसमें यह निबन्ध प्रस्तुत किया गया। इसमें धर्मकी व्याख्या सत्यका विज्ञान करके की है। विभिन्न धर्मों के साथ जैनधर्मकी महत्ता, तथा प्रमुख ५ सिद्धांतों की व्याख्या भी की है। जैन सभ्यता और संस्कृतिका अहिंसासे सम्बन्ध स्पष्ट किया है। समस्त प्राणियोंको आह्वान करते हुये लिखा है Love all and serve all under the light of Truth and Ahimsa in our motto and we invite you all cordially to cooperate with us in its aehievement. (हमारा उद्देश्य सत्य और अहिंसाके प्रकाशसे सबको प्रेम करने तथा सबकी सेवा करने का है तथा इस उद्देश्यकी प्राप्तिके लिए हम सबके सहयोगकी हृदयसे कामना करते हैं।) Vira Nirvana Day वीर निर्वाण दिवस __ यह १६ पृष्टीय अंग्रेजी भाषामें लिखा गया ट्रेक्ट है जो सन् १९५०में प्रकाशित हुआ। २२ अक्टूबर सन् १९४९को भगवान Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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