Book Title: Kamtaprasad Jain Vyaktitva evam Krutitva
Author(s): Shivnarayan Saxena
Publisher: Mulchand Kisandas Kapadia

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Page 150
________________ (१३७). वर्तमान युगमें बाबूजीके निधनसे मानव कल्याण ही नहीं बरन् मानव व प्राणी समालको अत्यन्त संशप्त होना पड़ेगा। इस समय विश्वको सत्य व अहिंसाके सिद्धान्तोंकी उपयोगिता बतलानेकी अत्यावश्यकता है बाबूजी यह कार्य अधूरा छोड़ गये हैं...... धन्य है उन्हें जिन्होंने जीवनको जैन धर्म प्रचारमें उगा दिया। अपने शरीर व स्वास्थ्यकी किंचित मात्र चिन्ता नहीं की। खुरई प्रेमचन्द्र दिवाकीर्ति एक रोशनी सचमुच हमारे चोचसे एक रोशनी जिसका उजाला हम देशवासियों को ही नहीं न ममुद्र पार दूर दूर तक पहुंच रह। था गुल हो गई, बुझ गई । मृत्यु मनको आती है मगर अकाल मृत्यु यानी अपने बत्त से पहले की मौत एक गहरा दाग छोड़ जातो है जिसे मरनेके लिये कुछ वक्त चाहिए। साथ हो साथ यह बक्त है हमारी आजमाईशका ऐमा न हो कि हमारी भावनाएँ विद्रोह कर बैठे उस परम परमात्मासे जिसकी प्रत्येक आज्ञाके सामने इम नत सातक हैं।। मानपुरी ___ प्रभुदयाल श्रीवास्तव । जैनधर्म और जन साहित्य के जो कार्य किये हैं वह उनकी एक अ'द्वतीय और निष्काम महा मेवा थी।...भारतवर्ष मे ही नहीं अपितु पूरे संसार में अहिंसामयी जैनधर्मका प्रचार हो ऐसी उनको उत्कृष्ट इच्छा थी।...आज अहिंसाका एक महान प्रचारक कर्मठ वीर पुरुष असमयमें दुनियांसे उठ गया, सामाजिक कार्यक्षेत्रमे हम अपनको आज असहाय महसूस कर रहे हैं। बांदरी . मवेन्द्र कुमार जैन । Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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