Book Title: Kamtaprasad Jain Vyaktitva evam Krutitva
Author(s): Shivnarayan Saxena
Publisher: Mulchand Kisandas Kapadia

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Page 177
________________ (१६४) देश एवं विदेशों में जैन दशन एवं अहिप्सा संस्कृति का प्रचार, सम्पूर्ण विश्वमें शाखाओंकी स्थापना, प्लेटफार्म, प्रेम साहित्य प्रकाशन, फिल्म तथा आकाशवाणी द्वारा अहिंसाके मूलभूत सिद्धान्तोंका प्रचार, अन्तर्राष्ट्रीय जैन विद्यापीठके द्वारा जैन दर्शनके विभिन्न अंगों पर शोध कार्य, ज्ञानप्रसार, निबन्ध एवं प्रबन्धों द्वारा परीक्षायें, अहिंसा-सांस्कृतिक सम्मेलनों एवं वाचना. टयों की स्थापना, विद्वद्गोष्ठियोंका संयोजन, विश्वविद्यालयों के पाठ्यक्रमों में जैन साहित्यका समावेश, शाकाहार समारोह आदि बादि आपके सर्वतोमुखी कार्यक्रमोंकी कुछेक क्रियात्मक एवं प्रभावनापूर्ण गतिविधियां हैं जिन पर आज जैन-जगत पूर्ण आस्थामय दृष्टियोंसे निहार रहा है। ___ अन्ततः आजके इस प्राधुनिक वैज्ञानिक युगमें हम आपमें भ० महाबीर के गणधरके विषदरूपमें आपके दर्शन करते हैं। और महान उल्लासका अनुभव करते हुए आपका हार्दिक अभिनंदन करते हैं। हम हैं आपके आस्थावान सदस्यगण, जैन मंडल, कानपुर । दि. १९-४-६१. Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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