Book Title: Kamtaprasad Jain Vyaktitva evam Krutitva
Author(s): Shivnarayan Saxena
Publisher: Mulchand Kisandas Kapadia

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Page 166
________________ (१५३) युवकोंमें प्रगतिशील तरुणों में उदित हुये नक्षत्रोंकी भांति विद्यार्षि योंके अन्तस्तलमें भगवान महावीरका मंगलकारी संदेश फैले यह उनकी तीव्र कामना था। दिल्ली, सुमेरचन्द्र जैन शास्त्री। बह दीप बुझ गया जो अपनी बुद्धिमत्ता, चतुराई एवं अद्भुत धर्म प्रचारकतासे विश्वको आलोकित करता रहा है। बाबूजीमें जैन धर्म एवं अहिंसा सिद्धांतको फैलानेकी उत्कट भावना थी। मैंने उनके जीवनसे बहुत प्रेरणा ही है। कलकत्ता, देवेन्द्रकुमार जैन, बी० कॉम० श्री बाबू कामताप्रसाद जीके अभावखे जैन समाजकी बहुत क्षति पहुंची है और मुरूपतया बिदेशों में धर्म प्रभाषनाकी दिशामें बहूत क्षत पहुंची हो। frog क्षु० मनोहरजी वर्णी। बैीटर चम्यतरायनीके बाद बबूजी ने ही विदेशोंमें जैन शब्द गुजागा । बाबूजी का जीवन प्रचार-रत रहा है व लेबिलधारी जैनों की अपेक्षा विदेशी विद्वानोंने उनका सही मूल्यांकन किया इससे वह कई ख्याति प्राप्त अन्तर्राष्ट्रीय संस्थाओंके सदस्य मनोनीत रहै। गंजबासौदा केशरीमल जैन-विशारद बर्तमान अहिंसक संसारकी बड़ी क्षति हुयी है, और वह बहुत कुछ सोचने पर भी समझ नहीं आ रहा है कि इस कमीकी पूर्ति कहांसे होंगी ? उनकी निस्वार्थ सेवासे समाज चिरऋणी Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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