Book Title: Kamtaprasad Jain Vyaktitva evam Krutitva
Author(s): Shivnarayan Saxena
Publisher: Mulchand Kisandas Kapadia

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Page 122
________________ ( १०९) डालनेवालो ५७ फोट ऊंचो मूर्तिका वर्णन भी मिलता है जो आज भी Sravanabelagola श्रवणबेळगोल (मैसूर ) में स्थित है। इस ट्रेक्टके सम्बन्धमें Matthew Mekay ( Brighton Sussex ) ने लिखा है My Dincere wish is that all readers of this tract will investigate the truth contained in the Jaina Scriptures. By so doing they will find that which convlys all that is necessary for the purification of soul and progress of Mankind. मेरी उत्कृट आकांक्षा यह है कि इस पुस्तिकाके पाठक पायेंगे कि इसमें जैन शाखोंमें निहित सत्यका वर्णन है। ऐसा करनेसे वे पायेंगे कि इसमें आत्माकी पवित्रता और मानव जातिको प्रगतिको सभी माश्यक बातें उपलब्ध हैं। [महावीर स्वामोके कथन] The Sayings Lord Mahvira यह १२ पृष्ठीय अंग्रेजीका ट्रेक्ट महावीर जयन्ती १९५४को प्रकाशित हुआ। भगवान महावीर जैन धर्म के अन्तिम तीर्थंकर हुवे थे जिनका जीवन समाजके सुधार के लिये ही समाप्त हुआ। उनका जीवन एक आदर्श जीबन था। जिसके जैन धर्मको या भारतवर्षको ही नहीं वरन् विश्के प्रत्येक नागरिकको बहुत कुछ सीखनेको मिल सकता है। प्रारंभ के ८ पृष्ठोमें भगवान महाबीरका जीवन चरित्र लिखा गया है। शान्ति और सत्यके इस पुजारीका जीवन ही न पढ़ा जावे वरन् उन्होने समाजके लिये जो भी कहा, अथवा बताया उसे प्रत्येक व्यक्ति पढ़े, समझे, विचारे और करै इसलिये बाबूजीने १२ पृष्ठों में भगवान महावीरके उपदेश संकलित कर बिखें हैं। Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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