Book Title: Kalpasutra Moolpath Author(s): Bhimsinh Manek Shravak Mumbai Publisher: Bhimsinh Manek Shravak Mumbai View full book textPage 4
________________ कल्प० ॥ १ ॥ ****** ना ध्रुवसेन राजाने त्यां तेनो पुत्र मरी जतां तेनो शोक उतारवा अर्थे वीरात् ए८० वर्षे सभा समक्ष वांचवामां आव्युं, त्यारथी दर पजुसरण चावतां ए सूत्र व्याख्यानमां वंचाय बेच्ने पजुसाने दिने मूल पाठे पंचाय बे. या प्रवृत्ति आजकाल तमाम श्रेतांवर जैनसप्रदायमां चाले वे, तेथी खावा प्रतिनपयोगी सूत्रपाठने बनती मदेनते विद्वान् मुनि महाराज पासे शुरू करावीने मोए बपावी प्रसिद्ध करी जैनधर्मोन्नति श्रवामां बनतो प्रयास लीधो वे, ते सफल ययाथी मे पोताने कृतकृत्य गणी शुं. श्रावक जीमसिंह माणेक. Jain Education International For Private & Personal Use Only **** प्रस्ताव. ॥ १ ॥ www.jainelibrary.orgPage Navigation
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