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डिसेम्बर २०१०
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लिङ्गानुशासन
३९८४ उणादिगणविवरण
३२५० ८. धातुपरायणविवरण
५६०० अभिधानचिन्तामणिनाममाला
१०००० १०. अनेकार्थ कोष
१८२८ ११. निघण्टु कोष
३९६ १२. देशीनाममाला
३५०० १३. काव्यानुशासन सविवरण
६८०० १४. छन्दोनुशासन सविवरण
३००० १५. संस्कृत व्याश्रय
१५०० १७. प्रमाणमीमांसा (अपूर्ण)
२५०० १८. वेदाङ्कश
१००० १९. त्रिषष्टिशलापुरुषचरित महाकाव्य ३६००० २०. परिशिष्ट पर्व
३५०० २१. योगशास्त्र
१२७५० वीतरागस्तोत्र
१८८ २३. अन्ययोगव्यवच्छेद द्वात्रिंशिका २४. अयोगव्यवच्छेद द्वात्रिंशिका २५. महादेव स्तोत्र
कहा जाता है कि इन्होंने ३.५ करोड़ श्लोको का निर्माण किया था किन्तु आज उसका शतांश ही २,०७,००० श्लोक प्रमाण ही साहित्य प्राप्त होता है । विदेशी आक्रान्ताओं द्वारा कुछ साहित्य जला दिया होगा, कुछ नष्ट हो गया होगा और कुछ भण्डारों में उपेक्षित पड़ा हुआ होगा ।
प्राप्त साहित्य पर किञ्चित् विवेचन प्रस्तुत है :
सिद्धहेमशब्दानुशासन, ७ अध्याय - आचार्य हेमचन्द्र ने अपने समय में उपलब्ध समस्त व्याकरण वाङ्मय का अनुशीलन कर अपने 'शब्दानुशासन' एवं अन्य व्याकरणग्रन्थों की रचना की । हेमचन्द्र के पूर्ववर्ती व्याकरणों में तीन दोष-विस्तार, कठिनता एवं क्रमभङ्ग या अनुवृत्तिबाहुल्य पाये जाते हैं,
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