Book Title: Kailas Shrutasagar Granthsuchi Vol 1
Author(s): Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba
Publisher: Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba
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सचित्र कल्पसूत्र, पंचपाटी, सुलेखन कला से युक्त, वि.सं. १तृवी सदी.
दिव्य समयसी निक
ततः शतितीरंपरागत आय निकम्मान
विहसिती र माग । अनिडर रंग
मामादाविकपणे शामिड समये ॥३४॥ कलेव मनोरमेलि मिश्रा सिहिंगो अमलाम नमः गच्छसि। रमेव समयेरिनि), डवरागामगए नगरे वजण संतिमगांव
समयेगो श्रम मायमाया पा
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बोलन उपमानायाम्म निसम्मनासि । खकदि प्रकारेण दिनं अश्वार्धयनियमण्डनमा दिखे। रागदो मिं परिरुपशोभितायनज्ञानमादिपनि सिद्दिगई गए गो श्रमतिवमि देवा विडिय रक्त मात्रा गोतमन्त्रतिनामा 995 मित्रको ध्ययन॥॥॥
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कारिमलटारमा रम मदरसा सकलनमा राममायाक्सुमित फलदातामा विस्तार ऊसक तमारा लिय दीयांतणारे वालियार श्रीया मामीण रतिक्रम निभायी तिफल पाइय
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४२ संयम
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भीकमपुरखादीस सिनवंदरिएमा पापमन 14 सामीणाइतिश्रीयाद काशी किनकित सममिनिसचीत लाख याविनको कित सामजिमिलर सिमागत नामानिमीवीर पारि दिनदयानंद नायकवाद नेदमसिसागराफलिनामि॥२॥
इतिनमस्कारासमाप्तानि लिखितामित
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समय
निगमय पदा दोश्वमत या दिवसापर पान
गागर ॥ इमामानमा ४ वहिरात जे तस्यातमा ईथर
मध्य फल्लिका में तीर्थकर चित्र, वि.सं. १६-१०वी सदी
2005
Salon Sy Granfitses
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Liberal

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