Book Title: Jinvani Special issue on Jain Agam April 2002
Author(s): Dharmchand Jain
Publisher: Samyag Gyan Pracharak Mandal

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Page 5
________________ प्रकाशकीय सम्यग्ज्ञान प्रचारक मण्डल के द्वारा विगत ५९ वर्षों से 'जिनवाणी' मासिक पत्रिका का प्रकाशन किया जा रहा है। 'जिनवाणी' पत्रिका के समयसमय पर प्रकाशित विशेषांकों ने पाठकों को एक विषय पर विशिष्ट ज्ञानराशि उपलब्ध कराने का प्रयास किया है। उसी शृंखला में यह १५वाँ विशेषांक जैनागमों के अध्ययन की ओर पाठकों को आकृष्ट कर रहा है। इस अंक में प्रायः समस्त श्वेताम्बर आगमों का परिचय देने के साथ प्रमुख दिगम्बर आगम-तुल्य ग्रन्थों का भी परिचय दिया गया है। जिनवाणी के अब तक प्रकाशित १४ विशेषांक इस प्रकार हैं- 'स्वाध्याय' (१९६४), 'सामायिक' (१९६५), 'तप' (१९६६), 'श्रावक धर्म' (१९७०), 'साधना' (१९७१), ‘ध्यान' (१९७२), 'जैन संस्कृति और राजस्थान' (१९७५), (कर्मसिद्धान्त' (१९८४), 'अपरिग्रह' (१९८६), 'आचार्य श्री हस्तीमल जी म.सा. श्रद्धांजलि अंक' (१९९१), आचार्य श्री हस्तीमल जी म.सा.: व्यक्तित्व एवं कृतित्व' (१९९२), 'अहिंसा' (१९९३), 'सम्यग्दर्शन' (१९९६) एवं 'क्रियोद्धार : एक चेतना' (१९९७) । भगवान महावीर के २६०० वें जन्म-कल्याणक वर्ष में प्रस्तुत 'जैनागम - साहित्य' विशेषांक प्रकाशित करते हुए हमें महती प्रसन्नता है। जैनागम का एक अर्थ जिनवाणी भी है । सम्प्रति आध्यात्मिक एवं धार्मिक अध्ययन के प्रति लोगों में रुचि की अभिवृद्धि दृष्टिगोचर होती है । सन्तों की प्रेरणा, परीक्षाओं के आयोजन आदि इसमें सहकारी निमित्त रहे हैं। ज्ञान प्रति बढ़ती इस रुचि को देखकर लगता है कि पाठक जिनवाणी के इस विशेषाङ्क का अवश्य स्वागत करेंगे। वे आगमों का परिचय प्राप्त कर अपना ज्ञानवर्द्धन करेंगे तथा जिज्ञासा भाव बढ़ने पर अभीष्ट आगम का विस्तृत अध्ययन करने हेतु तत्पर बनेंगे। जिनागम हमारे जीवन को सही दिशा प्रदान कर आत्मबल एवं पुरुषार्थ की वृद्धि में सहायक बनते हैं ।। हम उन सम्माननीय विद्वानों, सन्तों एवं लेखकों के प्रति आभार प्रकट करते हैं जिन्होंने अपने आलेख भेजकर इस विशेषांक को समृद्ध बनाया है। आकारवृद्धि के कारण विशेषाङ्क में जिन समीक्षात्मक लेखों का समावेश नहीं हो सका है, उन्हें जिनवाणी के आगामी किसी अंक में प्रकाशित किया जाएगा। सम्पादक डॉ० धर्मचन्द जी एवं अन्य सभी सहयोगियों का भी हम धन्यवाद ज्ञापित करते हैं। जिन महानुभावों ने इस विशेषांक के प्रकाशन में सहयोग राशि भेजी है, उनकी आगमनिष्ठा की हम प्रशंसा करते हैं। चेतनप्रकाश डूंगरवाल अध्यक्ष ईश्वरलाल जैन कार्याध्यक्ष सम्यग्ज्ञान प्रचारक मण्डल, जयपुर Jain Education International For Private & Personal Use Only प्रकाशचन्द डागा मंत्री www.jainelibrary.org

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