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कछ आइसक्रीमों में अण्डों का रस और जिलेटिन । होती है। अत: स्वाद के लिये सदा अधिक मात्रा में खाने से बच्चों आइसक्रीमों में अण्डे मिश्रित करने की कानून ने मंजूरी दे
| का आहार कम हो जाता है, जिससे बच्चे विटामिन और प्रोटीन से दी है, किंतु अण्डों का रस यदि मिश्रित किया गया हो तो उसका
वञ्चित रह जाते हैं। विज्ञापन (Declaration) करने का कोई नियम नहीं है। किसी (2) दाँतों को हानि - अधिक मात्रा में चॉकलेट खाने भी शाकाहारी के लिए मांस जितना वर्ण्य है उतने ही अण्डे भी | से बच्चों को दाँत की तकलीफ भी होती है। दन्त चिकित्सकों के वर्ण्य हैं। यदि अण्डों के मिश्रण का विज्ञापन अनिवार्य बनाया मतानुसार भोजन में शक्करवाले पदार्थ खाने से दाँत में केविटी जाय तो भी कुछ प्रयोजन सिद्ध नहीं होगा, क्योंकि ऐसा विज्ञापन | (छिद्र) हो जाती है। इस खोल (Cavity) में मीठे पदार्थों के कौन पढ़ेगा? (छोटे अक्षरों में दिये गये) इस निवेदन या सूचना के सेवन से सूक्ष्म जीवाणु बढ़ जाते हैं और जीवाणुओं के साथ शक्कर प्रति किसका ध्यान जायगा? जिलेटिन भी बेशक मांसाहारी पदार्थ | मिलने से एसिड बन जाता है जो दाँतों के लिये अत्यधिक हानिकारक है, जो प्राणियों की हड्डियों और टिस्सुओं से बनाया जाता है। कई उत्पादक आइसक्रीम में जिलेटिन भी मिश्रित करते हैं।
(3) पाचनतन्त्र में तकलीफ और स्वभाव में आइसक्रीम के बारे में इस जानकारी के बाद निष्कर्ष यह | चिड़चिड़ाहट- चॉकलेट आदि खाने से बच्चों का पेट साफ नहीं है कि
रहता। वे सुस्त रहते हैं और चिड़चिड़े स्वभाववाले बन जाते हैं। (1) कुछ आइसक्रीम अण्डों के रस, चरबी और जिलेटिन इन सबका मूल कारण चॉकलेट ही है। बाजार में बिकनेवाला हर से युक्त होने के कारण शाकाहारियों के लिए त्याज्य हैं। माल अच्छा ही होता है, ऐसा मानने की भूल कभी नहीं करनी (2) अण्डे इत्यादि से रहित और सिर्फ दूध से ही बनायी
| चाहिये। गयी आइसक्रीम में भी यदि उत्पादक ने प्राणिजन्य चिकने पदार्थों (4) हिंसा और समाजविरोधी व्यवहारों में वृद्धिका मिश्रण ज्ञात-अज्ञात रीति से, आइसक्रीम चम्मच पर चिपकी केलिफोर्निया में 800 प्रयोगों के बाद सिद्ध हुआ है कि बाल रहे इसलिये किया हो तो भी त्याज्य ही है।
अपराधियों और किशोर वय के अपराधियों की एक संस्था में मिष्ट (3) अण्डों का उपयोग जिसमें नहीं किया गया हो, ऐसी भोजन कम और चॉकलेट बिलकुल बंद कर देने से अपराधी आइसक्रीम भी त्याज्य है; क्योंकि अति उष्ण और अति शीत बालकों में हिंसा और समाजविरोधी प्रवृत्तियाँ आधी हो गईं। पदार्थों का भोजन रोगकारक माना गया है। आइसक्रीम, बर्फ,
चॉकलेट में निकल ( Nickel)- लखनऊ की पर्यावरण फ्रिज में रखे हुए शीतयुक्त पदार्थ-ये सब प्रदीप्त जठराग्नि को नष्ट प्रयोगशाला में वैज्ञानिक श्री एस.सी. सक्सेना द्वारा किये गये शोध कर देते हैं।
से ज्ञात हुआ है कि चॉकलेट में ज्यादा निकल होने से बच्चों को तात्पर्य यह है कि शाकाहारियों के आरोग्य के लिये कैंसर भी हो सकता है। इसके अतिरिक्त यकृत (Liver), पित्ताशय हानिकारक तथा शंकास्पद इस आइसक्रीम नाम के पदार्थ से दूर पर भी बहुत खराब असर होता है, चर्मरोग भी हो सकते हैं और रहना ही हितकारी है।
बाल भी अकाल ही श्वेत हो जाते हैं। श्री सक्सेना दावे के साथ चॉकलेट और बछड़ों का मांस
कहते हैं कि भारत की चॉकलेटों में अमेरिकी चॉकलेटों की ___'नेस्ले लिमिटेड' की किटकैट नाम की चॉकलेट आज अपेक्षा निकल की मात्रा अधिक होती है। सामान्यत: 40 ग्राम की बच्चों में बहुत प्रिय है और प्रायः शाकाहारियों के घरों में भी बड़े चॉकलेट में 160 माइक्रोग्राम निकल होनी चाहिये, किंतु यहाँ तो पैमाने पर खायी जाती है। किटकैट छोटे-छोटे बछड़ों को मारकर 600 से 1340 माइक्रोग्राम निकल देखने में आता है। संक्षेप में उनके शरीर से प्राप्त किये गये रेनेट से बनायी जाती है। 'नेस्ले कहा जाय तो चार से दस गुना अधिक निकल होता है। यू.के. लिमिटेड' की न्यूट्रीशन ऑफिसर श्रीमती वाल एन्डरसन
चॉकलेट में 11 रंग और रसायन ने एक पत्र के जवाब में लिखा था कि 'किटकैट में कोमल बछड़ों टॉफियों में कृत्रिम रंगों के रूप में 1-पोन सो, 2-कार्मोसिन, का रेनेट (मांस) होने से शाकाहारियों के लिये किटकैट अखाद्य 3-फ्रास्ट रेड ई, 4-अमारंध, 5-एरी प्रीसीन, 6-टाइड्रोजीन 7पदार्थ है।' यह पत्र 'यंग जैन्स' नाम के अन्तर्राष्ट्रीय मैगजीन में सनसेट येलो, 8- ईंडिगो कारमीन, 9-लिंट ब्लू, 10-ग्रीन रस प्रकाशित हुआ है।
और 11-फ्रास्ट ग्रीन मिलाये जाते हैं। इन 11 रंगों के अतिरिक्त चॉकलेट, लॉलीपॉप, टॉफी और च्युईंगम
रंगों का उपयोग गैरकानूनी माना जाता है। इन नियत किये गये रंगों यदि आपको अपने बच्चे प्यारे हैं तो उन्हें कभी चॉकलेट, की मात्रा भी एक किलोग्राम पदार्थ में 0.2 ग्राम से अधिक नहीं टॉफी आदि खाने के लिये मत देना। बालकों को चॉकलेट. होनी चाहिये । यद्यपि 'विश्व स्वास्थ्य संगठन' (डब्ल्यू.एच.ओ.) लॉलीपॉप, टॉफी और च्युईंगम की भारी चाह होती ही है। किंतु | ने अमारंध रंग को मान्य नहीं किया है तथापि आज इसका उपयोग इससे निम्नलिखित हानियाँ होती हैं
ज्यादा हो रहा है। कनाडा, रूस और अमेरिका में किये गये (1) आहार कम हो जाता है - बालकों के विकास के | विश्लेषण से ज्ञात हुआ है कि अमारंध रंग सिर्फ कैंसर की उत्पत्ति लिये पौष्टिक आहार की आवश्यकता होती है, किंतु चॉकलेट | ही नहीं, अपितु गर्भस्थ शिशुओं में भी जन्मजात विकृति और सिर्फ केलोरी ही होती है। चॉकलेट और टॉफी में पूर्णत: शक्कर | न्यूनता उत्पन्न कर सकता है। इसी तरह जर्मनी में वैज्ञानिक पद्धति
-दिसम्बर 2002 जिनभाषित 19
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